माँ की ज्योति से नूर मिलता है, सबके दिलों को सरूर मिलता है।

Share this post

देवभूमि न्यूज 24.इन

जो भी आता है माँ के द्वारे, कुछ न कुछ जरूर मिलता है।।

ॐ ऐं ही कलीं चामुण्डायै विच्चे।

माँ सरस्वती, माँ वैष्णवी लक्ष्मी और माँ काली के एक साथ

दर्शन “माँ वैष्णों देवी का दरबार आस्था का दरबार, माँ वैष्णों देवी के 9

रूप. 9 दिन।

शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कूष्मांडा, स्कन्दमाता, कालरात्रि, सिद्धियात्री।

मैया है पार लगाने वाली मांझी, नवरात्रै प्रारम्भ में लगाये साझी ।।

आस, पत्र, नारियल, जल, कलश भर, चुन्नी, मेवा, लौंग, इलायची पास घर।।

माँ वैष्णों ही अन्नपूर्णा कहलाये, इसलिए ही तो नवरात्री में जी उगाये ।।

नेत्र है हमारे दो मोती मैया के दरबार में नित जलाये ज्योति ।।

मृदुभाषी. संयमी, अल्पहारी, पवित्रता पूर्ण रहे फलाहारी।

अष्ट दिन उपरान्त 9 कन्यायै एक पुत्र बुलाये, चने हलवा, पूरी का भोग लगायें।

जीवन में आने वाले कष्ट मिटायें माता रानी जगत जननी कहलाये।।

सीमा बोस हिन्दी अध्यापिका