श्री माता महा-काली जी बाजार।

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           ( कहानी)

-राजीव शर्मन अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी समीप रेलवे-स्टेशन क्रासिंग ब्रिज, कंमाडैंट होम गार्डज कार्यालय अम्ब-177203 जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।

  *देवभूमि न्यूज 24.इन*      

अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की बैंचों पर लम्बी कतार अपनी अपनी बारी का इंतजार करने बैठी थी।यह श्री महा- काली नगर बाजार स्थित बहुत बड़ा चैरिटेबल अस्पताल था।तीनों दिशाओं में अलग अलग विभिन्न रोग विशेषज्ञों के अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कक्ष बने हुए थे। सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या डाक्टर सुरुचि के कक्ष के बाहर बैठी थी।एकाएक बाहर ऐंबुलेंस का हुटर बज उठा था। सभी मरीजों के अभिभावक अस्पताल प्रांगण की ओर ताकने लगे थे। खून से लथपथ दस- बारह लोगों को दो ऐंबुलेंस से सटैचर पर डालकर आपातकालीन कक्ष की ओर ले जाया गया था। मौके पर पुलिस दल भी आ पहुंचा था।

सभी बड़ी अधीरता से घायल होने वालों की जानकारी जुटाने में लग गए थे। तीन- चार घायलों को ज्यादा रक्तस्राव होने के कारण सघन चिकित्सा केंद्र में उपचाराधीन किया जा रहा था। ग्रामीणोॅ का बड़ा समूह हो- हल्ला करता हुआ अस्पताल परिसर में घुस आया था। कुछ ग्रामीण स्थानीय पंचायत प्रधान धर्मजीत सिंह के खिलाफ नारेबाजी और उनके मकान-जमीन को सुपर हाई वे की जद में आने से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
गांव वालों ने इंजिनियर भारत कौशल की भी पिटाई कर डाली थी। मकानों-जमीनों पर युद्ध स्तर पर लगे कटाई-उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया गया था। इंजिनियर भारत कौशल ने मौके पर शहर से पुलिस बल को बुलवाया था किन्तु इस दौरान गांव में दो गुटों में जमकर हाथापाई का दौर चल पड़ा था।


गांव के पंचायत प्रधान धर्मजीत सिंह के कट्टर समर्थकों ने ग्रामीणों पर लाठी प्रहार करके घायल कर दिया था। ग्रामीण महिलाओं ने मोर्चा लगाते हुए इंजिनियर भारत कौशल को भी पीट डाला था। गनीमत यह रही कि बीच बचाव में गांव की शहर में पढी लिखी लड़की शैलजा ने महिलाओं को शांत करने में सफल होते हुए इंजिनियर भारत कौशल को उनकी गिरफ्त से छुड़ा लिया था। शैलजा ने सभी आक्रमणकारी उग्र ग्रामीणों को आगाह किया था कि सड़क चौड़ीकरण, डबल लेन,फोर लेन भारत सरकार की विकासोन्मुखी सर्वांगीण योजना है। बढ़ती आबादी और सड़क यातायात की भगदड़ के चलते सुपर हाई वे का निर्माण वर्तमान संदर्भ में प्रासंगिक हो गया है। इसके चलते हमारा श्री काली गांव भारत के मानचित्र पर अंकित होने वाला है। गांव में सुपर हाई वे निर्माण से एक नये युग का सूत्रपात होगा। इसी दौरान गांव के वयोवृद्ध काका बनारसी दास ने ग्रामीण बाला शैलजा को सुपर हाई वे निर्माण से उपजे वास्तविक तनाव पर प्रकाश डाला। काका बनारसी दास ने शैलजा को बतलाया कि वह भावी पीढ़ी की बेहतरी के लिए फोर लेन निर्माण का पूर्ण समर्थन करते है किंतु ग्रामीणों के कच्चे मकान व भूमि अधिग्रहण मामले में पक्षपातपूर्ण रवैय्या के मुखर विरोधी है।

वास्तव में शहर के काली नगर बाजार के पुराने रोड से सुपर हाई वे निर्माण का सर्वेक्षण किया गया था। काली माता गांव से दस किलोमीटर दूरी पर स्थित शहर के पुराने श्री काली माता बाजार के शरमायादार दुकानदारों ने अपने होटल, पैट्रोल पम्प और अत्याधुनिक शो रूम पर बुलडोज़र बचाव से लम्बी सियासी दखलंदाजी बलबूते दुर्गम साथारण ग्रामीण क्षेत्र काली माता गांव के लिए यह सुपर हाई वे तब्दील करा दिया था। यही नहीं भूमि अधिग्रहण मामले में भी प्रशासनिक स्तर से ग्रामीण क्षेत्र की पंचायत ने भी कृषि योग्य भूमि को राजस्व दुम- बंजर किस्म करार कराकर एक बीघा जमीन का मात्र पचास हजार रुपए औसत व्यय का तुगलकी फरमान जारी करवाया था। काका बनारसी दास ने इस मुद्दे पर विस्तृत खुलासा करते हुए कहा कि साधारण गरीब ग्रामीणों को कच्चे मकान का मात्र पच्चीस हजार रुपए मुआवज़ा निर्धारित किया गया है। यह काली माता गांव को कदापि मंजूर नही है। यद्यपि पुराने मार्ग का ही शहर मुख्यालय से चौड़ीकरण होना चाहिए था। यह सरासर घोर अन्याय है। पुराने काली माता बाजार को बचाने में भारी धांधली की गई है। ऐसी कोई भी आपातकालीन परिस्थिति नहीं थी कि इस छोटे से गांव की जमीन व कच्चे मकानों को उजाड़ने के कगार पर धकेल दिया गया है। शैलजा वयोवृद्ध काका बनारसी दास के रहस्योद्घाटन से काफी प्रभावित हो गई थी। काका बनारसी दास सालों साल गांव के पंचायत प्रधान रह चुके थे । उन्होनें सारे गांव के ग्रामीणों को अपने हक के धर्म युद्ध में सम्मिलित होने की अपील करते हुए जोड़कर संगठित कर दिया था। शैलजा की समझ में भी सारा गणित आने लगा था। शैलजा ने निर्णय लिया कि वह इस बर्चस्व की जंग में शहर के प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष काली माता गांव का जोरदार पक्ष रखने के लिए सभी ग्रामीणों समेत भेंट करेगी। काका बनारसी दास ने अबकी जोरदार अट्टहास करके शैलजा को रोका था। काका बनारसी दास का कहना था कि सभी उपर से नीचे तक मिलीभगत का खेल है।
आजकल कोई कलयाणकारी शासन नहीं है। सभी अपना अपना प्रयोजन पूरा करके स्वार्थ का खेल खेलते है। भारत सरकार इससे अनभिज्ञ बनी रहती है।
पांच हजार की आबादी वाले गांव पर सुपर हाई वे का बुलडोजर चलाने से पहले हजारों गांव वासियों के पुनर्वास की व्यवस्था मुकम्मल की जानी चाहिए थी। एक लाख,पचास हजार व पच्चीस हजार का मुआवजा हासिल करके ग्रामीण अपना नया आशियाना ठिकाना नहीं बना पायेंगें?
सभी ग्रामीणों में विचार विमर्श करने उपरांत शैलजा ने जिला के काबीना मंत्री राज्य सरकार से अपनी समस्याग्रस्त स्थिति से अवगत करवाने और निराकरण करवाने हेतु ज्ञापन देने का फैसला लिया था। मंत्री के निकटवर्ती शहर अथवा गांव के टूर प्रोग्राम की जानकारी हासिल की जा रही थी।
शैलजा ने सूचना हासिल करके मालूम किया था कि वैशाखी पर्व पर मंत्री जी महाकाल मंदिर प्रांगण में एक धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत करने वाले है।
शैलजा निर्धारित समय पर ग्रामीणों को एकत्रित करके महाकाल मंदिर प्रांगण में पहुंच चुकी थी। मंत्री से मिलने की भरसक कोशिश नाकामयाब होती नजर आ रही थी। मंत्री महोदय के हलकारे- चमचे मंत्री जी को घेरे हुए थे। वहां पर धार्मिक सत्संग शुरु होने वाला था। शैलजा ने हिम्मत जुटाकर मंत्री को गांव के सुपर हाई वे बारे ज्ञापन देकर विस्तृत पक्ष रखने की भरसक कोशिश की थी। मंत्री जी इस पर सकते में आ गए थे। मंत्री जी ने शैलजा को आगाह किया कि भारत सरकार के विभिन्न रेलवे लाईन प्रोजेक्ट व फोरलेन बाईपास में विभिन्न जगहों का अधिग्रहण करवाना एक सामान्य प्रक्रियागत हिस्सा है। राज्य सरकार को इसका पालन करना पड़ता है।
शैलजा निरूतर होकर ठगी सी रह गई थी। गांव के वयोवृद्ध काका ने शैलजा को सावधान किया था कि जिसकी लाठी उसकी भैंस मानी जाती है।
शहर के माता महाकाली बाजार के व्यापारी व खबरची भी वहां मौजूद थे। ग्रामीणों ने शैलजा को समझाकर इस मामले से किनाराकसी करने का परामर्श दिया था। शैलजा इस संघर्ष से पीछे हटने को बिल्कुल भी राजी नहीं थी। शैलजा ने वकीलों की कानूनी सहायता लेकर उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी कि पुराने डबल लेन माता महाकाली बाजार को ही दोनों ओर से भूमि अधिग्रहण करके सुपर हाई वे- फोरलेन बाईपास का निर्माण करवाया जाना चाहिए।
संघर्ष का विगुल बज चुका था। उच्च न्यायालय ने काली माता गांव को विस्थापित करने पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने पुराने डबल लेन महाकाली बाजार को ही फोरलेन में परिवर्तित करने की हिदायते दी थी।
इस फैसले को चुनौती देने के लिए शहर के काली माता बाजार के पैट्रोल पम्प, होटल व शो रूम काम्प्लेक्स वाले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पहुंच गए थे ।
तीन महीने में सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर मोहर लगाकर शरमायादारों को चारों खाने चित्त कर दिया था।
आज वर्तमान में काली गांव आबाद हो चुका है जबकि शहर का काली माता बाजार सुपर हाई वे फोरलेन में तब्दील हो गया है।
शैलजा की हिम्मत की दाद देते हुए इंजिनियर भारत कौशल ने शैलजा से शादी करके उसी गांव में आलीशान मकान बना लिया है। वयोवृद्ध काका बनारसी दास ने इस अस्तित्व की जंग जीतने का सारा श्रेय शैलजा को दिया है। शैलजा शहर में प्रसिद्ध बकील बनकर सफलतापूर्वक लोगों के अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहती है।
सारा पुराना गांव सरसव्ज हो रहा है।

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