देवभूमि न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने केरल, गुजरात और अंडमान एवं निकोबार के तट पर खनन को लेकर सरकार के फैसले की निंदा की है। राहुल ने पत्र में कहा कि सरकार इस फैसले पर फिर से विचार करे। लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है।

राहुल गांधी ने तटों पर ऑफशोर माइनिंग का मुद्दा उठाया
राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा, “केरल, गुजरात और अंडमान और निकोबार के तटों पर ऑफशोर माइनिंग की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले का विरोध हो रहा है। हमारे तटीय समुदाय इस बात का विरोध कर रहे हैं कि पर्यावरण पर इसके असर का आकलन किए बिना ही ऑफशोर माइनिंग के लिए टेंडर कैसे निकाले गए। लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवनशैली पर इसके प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता जताई है।”
‘इससे समुद्री जीवन को खतरा है’
उन्होंने कहा, ऑफशोर एरियाज मिनरल (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) अमेंडमेंट एक्ट, 2023 का भी विरोध हुआ था। लोगों को चिंता थी कि बिना किसी जांच के प्राइवेट कंपनियों को ऑफशोर माइनिंग के ब्लॉक दे दिए जाएंगे।

स्टडीज बताती हैं कि इससे समुद्री जीवन को खतरा है। कोरल रीफ्स को नुकसान पहुंच सकता है और मछली की संख्या घट सकती है। मिनिस्ट्री ऑफ माइंस ने जब 13 ऑफशोर ब्लॉक के लिए लाइसेंस देने के लिए टेंडर निकाले, तो इसका विरोध शुरू हो गया। इन 13 ब्लॉक में से तीन कोल्लम के तट पर कंस्ट्रक्शन सैंड माइनिंग के लिए हैं। यह मछली के प्रजनन का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। तीन ब्लॉक ग्रेट निकोबार द्वीप के तट पर पॉलीमेटेलिक नोड्यूल्स के लिए हैं। यह समुद्री जैव विविधता का हॉटस्पॉट है।
‘टेंडर जारी करने से पहले नहीं ली गई लोगों से सलाह’
उन्होंने कहा, टेंडर जारी करने से पहले हितधारकों से कोई सलाह नहीं ली गई। न ही तटीय समुदायों पर पड़ने वाले लंबे समय के सामाजिक-आर्थिक असर का आंकलन किया गया। केरल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ एक्वेटिक बायोलॉजी एंड फिशरीज की मरीन मॉनिटरिंग लैब (MML) के सर्वे में पाया गया है कि ऑफशोर माइनिंग से मछली के प्रजनन पर बुरा असर पड़ सकता है।’
‘लाखों लोगों को होगा नुकसान’
पत्र में राहुल ने आगे लिखा कि केरल में 11 लाख से ज़्यादा लोग मछली पकड़ने पर निर्भर हैं।

यह उनका पारंपरिक व्यवसाय है और उनकी जीवनशैली का अहम हिस्सा है। ग्रेट निकोबार अपनी विविध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाता है। यह कई दुर्लभ प्रजातियों का घर है। ऑफशोर माइनिंग से होने वाले नुकसान की भरपाई करना मुश्किल हो सकता है। ऐसे समय में जब तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के कटाव से चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं का असर बढ़ गया है, सरकार बिना वैज्ञानिक आंकलन के गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है, जो चिंताजनक है।
माइनिंग ब्लॉक के लिए जारी किए गए टेंडर रद्द करने की मांग
राहुल गांधी ने सरकार से मांग करते हुए कहा, सरकार ऑफशोर माइनिंग ब्लॉक के लिए जारी किए गए टेंडर रद्द करे। इसके अलावा, ऑफशोर माइनिंग के पर्यावरण और सामाजिक-आर्थिक असर का आंकलन करने के लिए वैज्ञानिक स्टडीज की जानी चाहिए। सबसे जरूरी बात यह है कि कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले सभी हितधारकों, खासकर मछुआरों से सलाह ली जानी चाहिए। उनका जीवन समुद्र से जुड़ा हुआ है। हमें सभी के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए