गणेश दमनक चतुर्थी आज

Share this post

देवभूमि न्यूज 24.इन


हिंदु पंचांग के चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश दमनक चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा किये जाने का विधान है। गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत एवं पूजन पूरे विधि-विधान के साथ करने से साधक को प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता गौरी पुत्र गजानन गणेश जी की कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और साधक के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से पूर्ण होते है और उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत कष्टों और दुखों दमन करने वाला और सुख-समृद्धि में वृद्धि करने वाला उत्तम व्रत है।

गणेश दमनक चतुर्थी व्रत कब है?

इस वर्ष गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत एवं पूजन 1 अप्रैल, 2025 मंगलवार के दिन किया जायेगा।

विनायक चतुर्थी पर शुभ योग

पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग सुबह 09 बजकर 48 मिनट से हो रहा है,जो पूर्ण रात्रि भर है। इसके साथ ही भद्रावास का भी निर्माण हो रहा है।

इसके अलावा, भरणी एवं कृत्तिका नक्षत्र का भी संयोग है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट अवश्य दूर हो जाएंगे।

गणेश दमनक चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी का पूजन करके भोग लगाने का विधान है। गणेश दमनक चतुर्थी व्रत एवं पूजन की विधि इस प्रकार है-

गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाता हैं। प्रात:काल स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
पूजा स्थान पर बैठकर गणेश जी का ध्यान करके गणेश दमनक चतुर्थी व्रत का संकल्प करें।
इस व्रत में गणेश जी का पूजन चंद्रोदय के बाद किया जाता है। चंद्रोदय के बाद पूजास्थान पर चौक बनाकर उसपर एक चौकी बिछाये।


चौकी पर पीले या लाल रंग का कोरा वस्त्र बिछाकर उस पर गेहूँ या चावल की ढेरी लगाये और फिर उसपर ताम्बे के कलश में जल भरकर रखें। कलश को ढक कर उस पर दीपक जलायें।
साथ ही चौकी पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
धूप जलायें।
गणेश की प्रतिमा को दूध व जल से स्नान कराने के बाद सिंदूर लगाये।
जनेऊ अर्पित करें।
रोली-चावल से तिलक करें। मोली चढायें। इत्र चढायें।
गणेश जी को दूर्वा अर्पित करें। फल-फूल अर्पित करें।
लड्डू या मोदक का भोग लगायें।
तत्पश्चात्‌ पाँच पान के पत्तों पर लौंग, इलायची व सुपारी रखकर गणेश जी को चढायें।
इसके बाद गणेश दमनक चतुर्थी की कथा कहें या सुनें।
गणेश जी की आरती करें।
पूजन के बाद गणेश जी का ध्यान करते हुये चंद्रमा को अर्ध्य दें और अपनी जो भी मनोकामना हो उसे पूर्ण करने के लिये भगवान गणेश जी से निवेदन करें।
अर्ध्य देने के बाद भोजन ग्रहण करें।

गणेश दमनक चतुर्थी व्रत का महत्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते है। गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत दुख, विपत्ति, कष्ट एवं विघ्नों का दमन करने वाला और सुख-सौभाग्य, धन-समृद्धि एवं मान-सम्मान में वृद्धि करने वाला हैं। इस व्रत को विधि-विधान के साथ सम्पन्न करने से

साधक के जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है।
मनोरथ सिद्ध होता हैं।
सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।
रोगों का नाश होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
दुख-दरिद्रता का नाश होता हैं।
धन-समृद्धि में वृद्धि होती हैं।
सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं।
गुणवान संतान की प्राप्ति होती हैं।
विघ्न – बाधाओं का नाश होता है।
विद्यार्थियों के लिये यह व्रत अति उत्तम है, इस व्रत को करने से विद्यार्थी मेघावी होता और उसे विद्या की प्राप्ति होती है।

गणेश दमनक चतुर्थी व्रत की कथा

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक अंधी दरिद्र वृद्धा रहती थी। उसके साथ उसका एक पुत्र और पुत्रवधु रहते थे। वह बुढ़िया भगवान गणेश जी की अनन्य भक्त थी। वह प्रतिदिन भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना किया करती थी। और प्रतिवर्ष गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत एवं पूजन पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ किया करती थी। उसकी पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर एक दिन जब वो भगवान गणेश की भक्ति में लीन थी, तब भगवान गणेश जी उसके समक्ष प्रकट हो गये। गणेश जी ने उस बुढ़िया से कहा – “हे माई! मैं तुम्हारी भक्ति से प्रसन्न हूँ। तुम्हारी जो इच्छा हो वो तुम मुझसे माँग लो। मैं तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण करूँगा।“

बुढ़िया यह सुनकर सहसा चौक गई और उसे विश्वास ही नही हुआ की भगवान गणेश उसके समक्ष आ गये हैं। भगवान गणेश जी ने उसका संशय दूर किया और उसे आशवस्त किया। तब उस बुढ़िया ने कहा “भगवन आपने मुझ बुढ़िया पर कृपा की उसके लिये मैं बहुत आभारी हूँ। आपसे भेंट होने की प्रसन्नतावश मैं कुछ भी समझ नही पा रही कि आपसे क्या माँगू ?“ भगवान गणेश जी ने उस वृद्ध महिला से कहा – “माँ! यदि तुम्हे कुछ नही सूझ रहा तो अपने पुत्र और पुत्रवधू से पूछ कर मांग लो।“ यह सुनकर बुढ़िया अपने पुत्र और पुत्रवधू के पास गई, और उन्हे सारा वृत्तांत सुनाया। फिर उनसे पूछा की अब तुम बताओ मैं उनसे क्या माँगू। पुत्र ने कहा – “माँ! हम लोग बहुत निर्धन है तुम भगवान से धन-धान्य माँग लो।“ पुत्रवधू ने कहा की अपने लिये पौत्र माँग लो।

फिर वो वृद्धा अपनी एक शुभचिंतक के पास गई और उससे से भी वही प्रश्न पूछा। उस स्त्री ने कहा तुम अपनी आँखों की ज्योति भगवान से माँग लो। इससे तुम्हारी समस्याओं का अंत होगा और तुम अपनी बची हुई जिंदगी प्रसन्नतापूर्वक जी पाओगी। सभी की बातें सुनने के बाद उस वृद्धा ने भगवान गणेश का ध्यान किया। भगवान गणेश जी उसके समक्ष आकर बोले – “हे माँ! बोलो तुम क्या माँगना चाहती हो?” इस पर वृद्धा ने कहा – “हे गणेश जी महाराज! आप मुझ पर प्रसन्न है तो आप मुझे
करोड़ों की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की ज्योति दें, नाती दें, पोता दें, समस्त परिवार को सुख दे, और मृत्यु उपरांत मुझे मोक्ष दें।
भगवान गणेश जी बोले माई तूने जो भी मांगा है वो सब तुझे मिलेगा और आशीर्वाद देकर तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए। जो भी उस बुढ़िया ने माँगा था उसे वो सबकुछ मिल गया। उसके घर में खुशियाँ ही खुशियाँ आ रही थी। उसके बेटे को धन-धान्य मिला, बहू को पुत्र प्राप्त हुआ, उस वृद्धा को उसकी अपनी आँखों की रोशनी वापस मिल गई।

ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य गणेश दमनक चतुर्थी का व्रत पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ करता है भगवान गणेश उसकी हर मनोकामना पूर्ण करते है।