कामदा एकादशी के दिन जरूर करें इस कथा का पाठ, सभी पापों काहोगा नाश🌹

Share this post


देवभूमि न्यूज 24.इन


⭕हर माह में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर कामदा एकादशी मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में इस व्रत को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कामदा एकादशी पर कथा का पाठ न करने से साधक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है।

सनातन धर्म में कामदा एकादशी व्रत को पापों से छुटकारा पाने के लिए शुभ माना जाता है। यह महत्वपूर्ण तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 08 अप्रैल को कामदा एकादशी व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

इस दिन पूजा दौरान सच्चे मन कामदा एकादशी कथा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि कथा का पाठ करने से साधक को पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और सभी मुरादें पूरी होती हैं। कामदा एकादशी व्रत का पारण अगले दिन कर विशेष चीजों का दान करना चाहिए। इससे व्रत सफल होता है। आइए पढ़ते हैं कामदा एकादशी की व्रत कथा।

⚜️कामदा एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 07 अप्रैल को रात 08 बजे से शुरू हो गई है और 08 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट पर एकादशी तिथि खत्म होगी। ऐसे में आज यानी 08 अप्रैल को कामदा एकादशी व्रत किया जा रहा है।

🪔कामदा एकादशी व्रत कथा
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
पौराणिक कथा के अनुसार, चिर काल में भोगीपुर गांव में एक राजा रहता था, जिसका नाम पुंडरीक था। वह हमेशा भोग-विलास में लिप्त रहता था। उसके गांव में एक स्त्री और पुरुष भी रहा करते थे, जिन्हें ललित और ललिता के नाम से जाना जाता था। एक दिन पुंडरीक के दरबार में ललित गीत गा रहा था।

उसी दौरान ध्यान ललित का ध्यान ललिता पर चला गया, जिसकी वजह से उसके गीत का स्वर बिगड़ गया। यह देख राजा को क्रोध आया और राजा ने ललित को राक्षस बनने का श्राप दे दिया। इस श्राप की वजह से उसकी पत्नी अधिक परेशान हो गई थी। उसने पति के लिए लोगों सहायता मांगी।

इसके बाद ललिता श्रृंगी ऋषि के पास पहुंची और उन्होंने ऋषि को पति के बारे में बताया। ऋषि ने उसे कामदा एकादशी करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारा पति फिर से मनुष्य योनि में आ जाएगा। ललिता ने ऋषि के आदेश पर कामदा एकादशी का व्रत किया और विष्णु जी की पूजा-अर्चना की। इस व्रत को करने से उसका पति राजा के श्राप से मुक्त हो गया और मनुष्य योनि में आ गया।

               *🚩हरिऊँ🚩*