समस्या-समाधान। (कहानी)-राजीव शर्मन

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अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी समीप रेलवे-स्टेशन क्रासिंग ब्रिज व समादेशक गृह रक्षा वाहिनी कार्यालय अम्ब-177203 जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।

  *देवभूमि न्यूज 24.इन*   

श्याम लाल विगत पांच सालों से लाचारी और बेवसी का शिकार होकर ना जाने किस दुनियां में सतत विचरण करने लगा था? सभी सहपाठियों को श्याम लाल का इस तरह पगलाया रहना रास नहीं आ रहा था। माध्यमिक स्तर से उच्च स्तरीय नवीं दसवीं कक्षायें सभी विद्यार्थियों के अपने अपने भावी भविष्य के संघर्षरत दौर में पुरजोर गतिशील थी।
यह वही हरफन मौला बहु- आयामी प्रतिभा का स्वामी श्याम लाल जो कि शारिरिक तौर पर पूर्णत: सक्षम होकर हर खेल-कूद प्रतियोगिता में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सारे स्कूल में जाना जाता था।


सुडौल लम्बे कद-काठी वाला श्याम लाल फुटबाल का गोलकीपर बतौर व क्रिकेट में भी दम-खम के लिए मशहूर हो चुका था। दसवीं क्लास में आते ही श्याम लाल की सभी गतिविधियां शिथिल होकर रह गई थी। प्राईमरी के पुराने गुरुजन अपने पुराने शिष्यों के भावी भविष्य पर बारीक नजर रखते आयें थे। ऐसे में पुरानी राधा मैडम जी,जिन्होनें पांचवीं तक श्याम लाल को पढ़ाया था। राधा मैडम जी को श्याम लाल पर गर्व था कि वह आने वाले समय में अवश्य ही सफलतापूर्वक मुकाम हासिल करेगा।
राधा मैडम जी ने श्याम लाल की पारिवारिक परिस्थितिजन्य हालातों का पूर्ण मंथन पर यह निष्कर्ष निकाला था कि वह बहुत गम्भीर प्रकृति का मालिक है और जब समय परिवर्तित होगा तो श्याम लाल को आगे बढ़ने से कोई भी व्यवधान रोक नहीं पायेगा।
राधा मैडम जी ने यह कोई कोरी परिकल्पना नहीं की थी बल्कि श्याम लाल के मुंडन संस्कार पर यह बड़ी बेवाकी से भविष्य वाणी भी कर डाली थी। यह बहुत इतफाक का समय था जबकि अध्यापक व शिष्यों का घरेलु सम्पर्क सूत्र भी बखूबी रहता था।
राधा मैडम जी को श्याम लाल के माता पिताजी ने मुंडन संस्कार पर बुलवाया था। राधा मैडम का मायका श्याम लाल के घर सन्निकट था,ऐसे में यह घरेलु सम्पर्क सूत्र ज्यादातर सुदृढ़ीकरण रहता था।
पौराणिक त्रिलोकनाथ मंदिर श्याम लाल की कुलजा भवानी थी। अतएव यह मुंडन संस्कार की प्रक्रिया वहीं पर सम्पन्न हो रही थी।
उस समय श्याम लाल दूसरी कक्षा में राधा मैडम जी के पास स्कूल में पढ़ता था।


त्रिलोकनाथ मंदिर समीप बावड़ी पर श्याम लाल को स्नान के लिए बिठाया गया तो श्याम लाल राधा मैडम जी को देखकर श्याम लाल शर्म के मारे भाग गया कि मैडम जी के सामने नंगे कैसे स्नान करेगा?
मैडम जी ने श्याम लाल को समझाकर मना लिया था कि गुरुजन भी माता पिताजी होते है,उनसे शर्म कैसी? शर्म तो गलत कामों पर की जानी चाहिए।
राधा मैडम जी की शिक्षा दीक्षा का श्याम लाल पर दीर्घकालीन प्रभाव पड़ा था।
राधा मैडम भी श्याम लाल की मिडल कक्षा तक कड़ी निगरानी रखती थी। मिडल की मैडम जो कि राधा मैडम की पड़ोसन थी,को स्वयं मैडम समयानुसार पढ़ाई-लिखाई बारे जानकारी हासिल कर लेती थी। श्याम लाल के ताया जी की तबादला वापिस पुश्तैनी नगर को हो चुका था। यह तबादला श्याम लाल के घर में अशांति का माहौल बना चुका था। ताया जी ने बिजली का मीटर अपने नाम बदल कर श्याम लाल के घर की बिजली गुल कर दी थी। यही नहीं पानी की सप्लाई का मीटर भी अपने नाम कराकर श्याम लाल को बाहर बावड़ी का पानी भरने को मजबूर कर दिया था। ताया जी अलग पानी बिजली का कुनैक्शन नहीं लेने देते थे। वह सारे मकान पर अपना अधिकार जमा रहे थे कि श्याम लाल के दादाजी उनके नाम सारी सम्पति की बसीयत लिख रखी थी। हालांकि यह सब वसीयती जाली रजिस्ट्रेशन फर्जी दस्तावेज के माध्यम से किया गया था। उन दिनों श्याम लाल के मैट्रिक बोर्ड परीक्षा नजदीक आ रही थी। घर का सारा वातावरण तनाव पूर्ण बन चुका था।
श्याम लाल पूर्ण रुपेण तनाव ग्रस्त हो चुका था। वह अपने में ही बाते करने लग जाता था।
निराशा में भी आशा की झलक विद्यमान रहती है। ईश्वरीय अनन्त कृपा से राधा मेडम जी की कक्षा में सुनाई गई अलौकिक कहानियों का असर श्याम लाल के मन मष्तिष्क पर चमत्कार दिखाने लगा था। यह चमत्कृत कहानी राधा मैडम जी ने दूसरी कक्षा में श्याम लाल को सुनाई थी। यह कहानी साधनहीन छात्रा की थी। जिसने साधनहीन होने पर भी कठिन परिश्रम से सफलता हासिल की थी। श्याम लाल का मन दौड़ने लगा था कि जब एक लड़की विपरीत परिस्थितिजन्य हालातों को हरा सकती है तो वह तो एक लड़का होकर निराश किस लिए बैठ गया था?
मुकदमेबाजी का दौर अपने चरमोत्कर्ष पर था।
श्याम लाल की आन्तरिक दृढ़संकल्प शक्ति का तीसरा नेत्र जागृत हो चुका था।
ताया जी से वह निर्भीक होकर पढ़ाई-लिखाई के लक्ष्य को साधने जुट गया था।
मैट्रिक का परीक्षा परिणाम आया तो श्याम लाल जिला की अग्रिम पंक्ति में दर्ज था।
श्याम लाल ने घरेलु झगड़े टीमों की परवाह ना करते हुए कालेज की पढ़ाई-लिखाई परिपूर्ण करने के बाद शिमला से सफलतम बकालत परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली थी।
इन सफलतापूर्वक सोपानों को चढ़ते हुए श्याम लाल का जीवन ही नहीं संवरा अपितु सभी घरेलु झगड़े टंटों को भी पूर्ण विराम लग गया था। ताया जी की झूठी बसीयत भी टांय टांय फिस्स हो गई थी। ताया जी ने शांति संधि के लिए हथियार डाल दिए थे। ताया जी ने श्याम लाल का आलीशान मकान बनवाने के लिए काफी मीटर जगह तक छोड़कर सहकारिता तालमेल कायम कर लिया था।
श्याम लाल ताया जी के चरणों में नतमस्तक होकर सारी सफलता का श्रेय उनको ही दे रहा था। ताया जी ने श्याम लाल को गले लगा लिया था। श्याम लाल का विवाह बड़ी धूमधाम से एक उच्च शिक्षित प्रोफेसर पद पर कार्यरत मांडवी से सम्पन्न करवाया गया था।
त्रिलोकनाथ मंदिर कुलजा भवानी में वैवाहिक संबंध स्थापित होने उपरांत एक ब्रह्म भोज का आयोजन था। सभी इष्ट मित्र,रिश्तेदार, गुरुजन श्याम लाल व मांडवी को वैवाहिक जीवन हेतु आशीर्वाद व शुभकामनाएं दे रहे थे। श्याम लाल को तो उस समय उसके मुंडन संस्कार पर सम्मिलित राधा मैडम जी की खोजबीन थी।
किसी ने बतलाया था कि राधा मैडम जी तो अब स्वर्ग सिधार चुकी है।
श्याम लाल धीर,वीर ,गंभीर हो गया था। राधा मैडम जी की सीख- कहानियां चलचित्र की तरह पुन: उपस्थित होने लगी थी।

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