शाकाहारी परिवार में बच्चों ने पेट भर के खा लिया बस इसी से संतुष्ट हो जाते हैं
*देवभूमि न्यूज 24.इन*
डॉ अर्चिता महाजन न्यूट्रीशन डाइटिशियन एवं चाइल्ड केयर होम्योपैथिक फार्मासिस्ट एवं ट्रेंड योगा टीचर नॉमिनेटेड फॉर पद्म भूषण राष्ट्रीय पुरस्कार और पंजाब सरकार द्वारा सम्मानित ने बताया कि जो परिवार नॉनवेज खा लेते हैं उनके लिए तो दिक्कत की कोई बात नहीं परंतु जो परिवार शाकाहारी होते हैं उनको अपने बच्चों का डाइट प्लान जरूर करना चाहिए ऐसे नहीं होता कि बच्चे ने पेट भर के खा लिया तो काफी है। जैसे आयरन के लिए आप अपने बच्चों को पालक देती हैं और यदि उसके ऊपर यदि नींबू निचोड़ कर नहीं देती तो आपका पलक खिलाने का कोई फायदा नहीं बच्चे को आयरन नहीं मिलेगा क्योंकि बॉडी ने पलक से आयरन अवशोषित नहीं करना। आप यह सोचकर संतुष्ट हो जाएंगे कि बच्चे ने ढेर सारी पालक की सब्जी खा ली है उसके शरीर को आयरन मिल गया। बिना विटामिन सी के शाकाहारी बच्चों का शरीर आयरन अब्जॉर्ब नहीं कर सकता।
इसी प्रकार आप दूध दही पनीर बच्चों को देते हैं परंतु उसके साथ उसको विटामिन डी नहीं दे पाते तो वह सारा दूध दही का कैल्शियम बच्चों की बॉडी अवशोषित नहीं कर पाएगी। कैल्शियम के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है।शाकाहारी भोजन के जोखिमों में से एक यह है कि इसमें पोषण संबंधी कमियों की संभावना होती है। पशु-आधारित भोजन में आयरन, विटामिन बी12, जिंक और प्रोटीन उच्च सांद्रता में होते हैं। पौधे-आधारित भोजन में फाइबर अधिक होता है जो विशेष रूप से छोटे पेट में परिपूर्णता की अनुभूति पैदा कर सकता है। इसका मतलब यह है कि छोटे बच्चे अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा युक्त भोजन नहीं खा सकते हैं।पूरी तरह से शाकाहारी भोजन खाने वाले बच्चों में कुछ पोषक तत्वों और खनिजों की कमी होने का खतरा होता है। पौधे आधारित भोजन पचाने में कठिन होते हैं और बढ़ते बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्व प्राप्त करने के लिए उन्हें बहुत अधिक खाने की आवश्यकता होती है। आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और प्रोटीन से भरपूर भोजन पोषक तत्वों के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।