*देवभूमि न्यूज 24.इन*
⭕भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और उन्हें प्रसन्न करने के लिए एकादशी तिथि सबसे उत्तम है। इस दिन व्रत रखने और प्रभु की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण व भाग्य में सकारात्मक बदलाव आता है। कहते हैं कि अगर सच्चे भाव से एकादशी पर श्रीहरी को केले का भोग लगाया जाए, तो व्यक्ति को पाप से मुक्ति प्राप्त होती हैं, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि वास करती हैं। इस दौरान सभी एकादशी में मोहिनी को सबसे खास माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन से निकले अमृत को जब असुरों ने ले लिया था, तभी सृष्टि के संचालक भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था। इसलिए इस तिथि पर पूजा-अर्चना व दान पुण्य का अधिक महत्व माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस बार यह व्रत कब रखा जाएगा।
⚜️कब है मोहिनी एकादशी का व्रत
पंचांग के मुताबिक इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगी। इसका समापन 8 मई को दोपहर 12:29 मिनट पर है। उदया तिथि के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा।
⚜️शुभ योग
पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी के दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र बन रहा है, जो रात 9 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। इस दौरान पूरे दिन हर्षण योग का संयोग रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:53 से दोपहर 12:41 मिनट तक है। इसके बाद 1:03 से 2:50 तक अमृतकाल बना रहेगा।
🪔एकादशी पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन सुबह ही स्नान करें और साफ वस्त्रों को धारण कर लें।
यदि संभव हो, तो पीले रंग के कपड़े पहनें। यह विष्णु जी का प्रिय रंग माना गया है।
इसके बाद एक साफ चौकी लें और उसपर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर दें।
इसके बाद प्रभु को वस्त्र, केला, फल और मिठाई अर्पित करें।
अब दीपक और अगरबत्ती जलाकर मंत्रों का जप करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
श्री हरि की आरती करें।
🪔भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥
*🚩हरिऊँ🚩*