संक्षिप्त श्रीस्कन्द महापुराण

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✍️देवभूमि न्यूज 24.इन


वैशाखमास-महात्म्य
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वैशाख मास की अन्तिम तीन तिथियों की महत्ता तथा ग्रन्थ का उपसंहार…(भाग 1)
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श्रुतदेवजी कहते हैं- राजेन्द्र ! वैशाखके शुक्ल पक्षमें जो अन्तिम तीन त्रयोदशीसे लेकर पूर्णिमातककी तिथियाँ हैं, वे बड़ी पवित्र और शुभकारक हैं। उनका नाम ‘पुष्करिणी’ है, वे सब पापोंका क्षय करनेवाली हैं। जो सम्पूर्ण वैशाख मासमें स्नान करनेमें असमर्थ हो, वह यदि इन तीन तिथियोंमें भी स्नान करे तो वैशाख मासका पूरा फल पा लेता है। पूर्वकालमें वैशाख मासकी एकादशी तिथिको शुभ अमृत प्रकट हुआ। द्वादशीको भगवान् विष्णुने उसकी रक्षा की। त्रयोदशीको उन श्रीहरिने देवताओंको सुधा-पान कराया चतुर्दशीको देवविरोधी दैत्योंका संहार किया और पूर्णिमाके दिन समस्त देवताओंको उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। इसलिये देवताओंने सन्तुष्ट होकर इन तीन तिथियोंको वर दिया- ‘वैशाख मासकी ये तीन शुभ तिथियाँ मनुष्योंके पापोंका नाश करनेवाली तथा उन्हें पुत्र-पौत्रादि फल देनेवाली हों।

जो मनुष्य इस सम्पूर्ण मासमें स्नान न कर सका हो, वह इन तिथियोंमें स्नान कर लेनेपर पूर्ण फलको ही पाता है। वैशाख मासमें लौकिक कामनाओंका नियमन करनेपर मनुष्य निश्चय । ही भगवान् विष्णुका सायुज्य प्राप्त कर लेता है। महीनेभर नियम निभानेमें असमर्थ मानव यदि उक्त तीन दिन भी कामनाओंका संयम कर सके तो उतनेसे ही पूर्ण फलको पाकर भगवान् विष्णुके धाममें आनन्दका अनुभव करता है।

क्रमशः…
शेष अगले अंक में जारी
✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान