बुद्ध पूर्णिमा पर क्यों की जाती है पीपल के पेड़ की पूजा? जानें पूजा विधि और महत्व-डॉ दीपक दुबे

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देवभूमि न्यूज 24.इन

⭕हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, विशेष रूप से वैशाख माह की पूर्णिमा को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसी कारण इसे पीपल पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष में यह पावन तिथि 12 मई को पड़ रही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन पीपल की आराधना करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पीपल के वृक्ष में स्वयं श्रीहरि का वास होता है। इस कारण यह दिन बेहद शुभ और पवित्र माना गया है।*

⚜️भगवान बुद्ध का जन्म दिवस
वैशाख पूर्णिमा को भगवान विष्णु के नवें अवतार, भगवान बुद्ध का जन्मदिवस भी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि उन्हें ज्ञान की प्राप्ति पीपल वृक्ष के नीचे हुई थी, जिसे बोधि वृक्ष भी कहा जाता है। उन्होंने छह वर्षों तक इसी वृक्ष के नीचे तपस्या की और पूर्णिमा के दिन ही उन्हें बोधि प्राप्त हुआ।

⚜️पितरों की तृप्ति के लिए उत्तम दिन
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा से पूर्वज प्रसन्न होते हैं। साथ ही इस अवसर पर पीपल का पौधा रोपना भी शुभ माना गया है। यदि पीपल पर दूध, जल और काले तिल चढ़ाए जाएं, तो पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

⚜️ग्रहों की शांति
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पीपल की पूजा करने से कुंडली के अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। खासकर शनि, गुरु, राहु और केतु जैसे ग्रहों की शांति हेतु पीपल पूजन और वृक्षारोपण अत्यंत लाभदायक माना गया है।

⚜️पीपल की पूजा विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन सूर्योदय के बाद पीपल पर दूध व जल चढ़ाएं और पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख रखकर वृक्ष की तीन परिक्रमा करें। धार्मिक मान्यता है कि सुबह के समय पीपल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का निवास होता है। वहीं, दिन के समय इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।

        *🚩हरिऊँ🚩*