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देवभूमि न्यूज 24.इन
अल्लादित्ता और नूरबानों ने पाकिस्तान निर्माण के समय वहां से भाग कर शादी करके अपने को भारत में स्थापित कर लिया था। पाकिस्तान की कट्टरपंथ नीति से कश्मीरी पंडित हमेशा से ही त्रस्त होकर प्रताड़ित बने हुए थे। यह क्रम अनवरत जारी था।हमारे पड़ोसी सरदार करतार सिंह, हज्जाम (नाई ) रामजी दारोगा, कसाई कासिम भाई, भारत-पाक विभाजन के चश्मदीद नूरे इल्लाहीं चूड़ीवाला ( बैंगल सैलर- बंगैड़ा) लाला बस्ती राम,चाचा मुल्ख राज बर्तन विक्रेता (भांडेवाला) ट्रंक वाला चमनलाल जी आदि आदि जब इक्ट्ठा होते तो पाकिस्तान बंटवारे के कटु अनुभवों का आदान-प्रदान प्रारम्भ हो जाता था। यह लोग हिंदुस्तान में ही रहना चाहते थे तथापि 1947 की मार-काट में रातों-रात सियालकोट- लाहौर-कराची,रावलपिंडी नामक स्थानों से पैदल भाग भाग कर किसी तरह अमृतसर-पठानकोट पहुंचे थे। इन सभी का मानना था कि मुस्लिम लीग के नेता मौहम्मद अली जिन्ना कट्टरपंथ का नेता था। पाकिस्तान की मांग सरासर गल्त थी। हिंदुस्तान के उदारवादी नेता महात्मा गांधी,प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू समेत सभी कांग्रेस नेता जिन्ना की कुटिलता और अंग्रेजों के शिकार हो गए थे। वर्तमान में इतिहास साक्षी है कि लम्बे अंतराल के बावजूद भारत के दोनों सीमावर्ती पड़ोसी चीन और पाकिस्तान भारत की भूमि पर अनाधिकृत घुसपैठ जारी रखे हुए है। चीन ने 1962 में भारत पर आक्रमण करके काफी भूभाग कब्जाया हुआ है।

पाकिस्तान 1965 , 1971 ,1999 व वर्तमान में भी आक्रमणकारी बना हुआ है। 1971 के शिमला समझौते में भी भारत ने पाकिस्तान को उसका 28,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हजारों भारतीय सैनिकों की शहादत के बावजूद लौटा दिया था।
श्री मांडव्य नगर जनपद श्री छोटी काशी जिला मंडी शहर मुख्यालय हिमाचल प्रदेश में श्री कृष्ण लाल महाजन उर्फ कांकू शाह के भजनों में पाकिस्तान की हेराफेरी के टप्पे पिछले पचास सालों से यथावत बरकरार है। उस समय राजा माधवराव के मंदिर परिसर में भजन-संकीर्तन की शुरुआत करते हुए कांकू शाह जी जोर देकर कहते थे। गल्ती करे मानव फिर मान जाए तो इंसान कहते है। गल्ती करे फिर ना माने तो हैवान कहते है,और जो बार बार गल्ती करता रहे तो उसे पाकिस्तान कहते है।कांकू शाह की यह मंडयाली लोक- प्रचलित भाषा आज भी पाकिस्तान के सीज फायर उलंघन पर एकदम सटीक उतरती है। पाकिस्तान का सुधर पाना नामुमकिन है, यह आत्मघाती आतंकीस्तान बन चुका है। हमारे गुरुजन 1971 के भारत-पाक युद्ध से चेताते रहे है। हर वक्त बारूद के आतंकवाद पर आधारित यह विश्व मानवतावाद के लिए विनाशक है। 1947 में जब भारत विभाजन से पाकिस्तान का जन्म ही विवादास्पद व कत्लेआम से रक्त रंजित रहा है। भारत के साथ हमेशा कुटिलता से धोखाधड़ी करता आया है। भारत के अभिन्न अंग कश्मीर पर अनाधिकृत चेष्ठा का राग अलाप कर अपनी नस्लों को बर्बाद कर दिया है। सेना से लौटे मित्र मदनलाल जी ने आज से तीस साल पहले बतलाया था कि भारत विभाजन उपरांत पनपा पाकिस्तान आतंकवाद का पर्याय है। भारत ने हर मोर्चे पर पाकिस्तान के साथ दरियादिली रखते हुए भारत पाक बस सेवा ,रेलसेवा द्वारा अमन शांति कायम करने की भरसक कोशिश की किंतु पाकिस्तान ने सदैव भारत की पीठ पर कटारी घोंपने का काम जारी रखा हुआ है।पाकिस्तान विगत आठ दशकों से कश्मीर की शांति भंग करने में लगातार जुटा हुआ है। पाकिस्तान अब आत्मघाती आतंकीस्तान बन चुका है। सत्ता तख्तापलट इसका परम्परागत इतिहास रहा है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था यहां नाममात्र की रह गई है। सेना कभी भी किसी प्रधान मंत्री को कैदी बनाकर फांसी के तख्ते पर लटकाती आई है। पाकिस्तान अन्तराष्ट्रीय आतंकीस्तान बन चुका है। भारत ने बहुत बार आतंकवाद पर समूचे विश्व को चेताते हुए गहरी चोट की किंतु अल्प अंतराल के बाद पाकिस्तान पुन: अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है।
पाकिस्तान का यह भारत के साथ छद्म युद्ध जस का तस बना हुआ है।
हालांकि 1947-2025 का यह लम्बा युद्ध पाकिस्तान को लगातार आर्थिक विपन्नता, भुखमरी, बेरोजगारी, मंहगाई व ऋणी देश बना चुका है। पाकिस्तान नशेखोरी,तस्करी व आतंकीस्तान का अन्तराष्ट्रीय अड्डा बन चुका है। हथियारों की अंधी दौड़ में पाकिस्तान दिवालियेपन का शिकार भी है।विश्व स्तर पर देखना होगा कि पाकिस्तान के इस लम्बे युद्ध का भविष्य में क्या हश्र होने वाला है ? बहरहाल पाकिस्तान का लम्बा युद्ध 1947-2025 बदस्तूर जारी है।
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