*देवभूमि न्यूज 24.इन*
⭕ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल कल 13 मई 2025 को है। ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को बड़ा मंगल कहते हैं और बड़ा मंगल में हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस दिन लोग जगह-जगह भंडारे करवाते हैं और इस दिन सुंदरकांड करवाने और घर में हनुमानजी की पूजा करने का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया है। मान्यता है इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने और दान करने से बड़ा ही मंगलकारी पुण्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि इस बार ज्येष्ठ मास में कितने बड़े मंगल पड़ने वाले हैं।
कल ज्येष्ठ मास का पहला बड़ा मंगल है। ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए बहुत ही खास माने जाते हैं। इस दिन भंडारों का आयोजन किया जाता है और गरीब जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे बहुत पुण्य मिलता है। हिंदू धर्म के अनुसार, हनुमान जी पहली बार प्रभु श्रीराम से ज्येष्ठ मास के मंगलवार को ही मिले थे। इसलिए, ज्येष्ठ मास के मंगलवार का बहुत महत्व है और इसे बड़ा मंगल कहते हैं। इसके अलावा बड़ा मंगल का संबंध लखनऊ शहर से भी है। आइए आपको बताते हैं बड़ा मंगल के इतिहास और इसे मनाने की परंपरा के बारे में कुछ खास बातें।

🚩2025 के बड़े मंगल की तिथियां- बड़ा मंगल सनातन धर्म का एक खास पर्व है। यह ज्येष्ठ मास में आता है। इस दिन हनुमानजी की विशेष पूजा होती है। उत्तर प्रदेश में इसे बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। इस पर्व के पीछे कई कहानियां हैं, जिनमें भीम का घमंड टूटना और रावण की लंका में आग लगाना शामिल है।
🔔पहला बड़ा मंगल 13 मई, दूसरा बड़ा मंगल 20 मई, तीसरा बड़ा मंगल 27 मई, चौथा बड़ा मंगल 3 जून, पांचवां बड़ा मंगल 10 जून
🚩बड़ा मंगल का महत्व- बड़ा मंगल को मनाने के पीछे कई पुरानी कहानियां हैं। एक कहानी महाभारत काल की है। इसमें हनुमानजी ने भीम के घमंड को तोड़ा था। उन्होंने भीम को हराया था। एक और कहानी रामायण काल की है। जब हनुमानजी लंका पहुंचे, तो रावण ने उन्हें बंदी बना लिया था। तब हनुमानजी ने लंका में आग लगा दी थी। इससे रावण का घमंड चूर-चूर हो गया था। इन्हीं कहानियों के कारण यह पर्व मनाया जाता है।
🚩बड़ा मंगल का इतिहास- लखनऊ शहर से बड़ा मंगल का इतिहास जुड़ा हुआ है। अवध के नवाब वाजिद अली शाह की बेगम हनुमानजी की भक्त थीं। उन्हें सपने में हनुमान जी ने दर्शन दिए थे। इसके बाद उन्होंने अलीगंज में हनुमान जी का मंदिर बनवाया। मंदिर बनने के बाद शहर में महामारी फैल गई। बेगम ने ज्येष्ठ मास के मंगलवार को मंदिर में हनुमान जी की पूजा की। हनुमान जी के आशीर्वाद से महामारी खत्म हो गई। तब से हर साल ज्येष्ठ मास के मंगलवार को भंडारे का आयोजन होता है। बेगम आलिया ने पहली बार बड़े मंगल पर भंडारा करवाया था। तब से लेकर आज तक, हर साल ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवार को जगह-जगह भंडारे का आयोजन होता है। लोग अपनी श्रद्धा से भंडारे में योगदान करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह लखनऊ की एक खास परंपरा बन गई है। उसके बाद कालांतर में यह लखनऊ के आसपास प्रयागराज, बनारस, गोंडा और रायबरेली में भी मनाया जाने लगा।
*🚩राम_राम_जी🚩*