*देवभूमि न्यूज 24.इन*
⭕वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए एक अत्यंत शुभ पर्व है, जो 26 मई 2025, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन ज्येष्ठ मास की सोमवती अमावस्या है, जो व्रत के फल को और भी अधिक शुभ बनाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से बरगद के पेड़ के नीचे वापस लिए थे। तभी से यह व्रत पति की लंबी उम्र, अखंड सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर वट वृक्ष की पूजा करती हैं, परिक्रमा करती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। पूजा के बाद सुहाग सामग्री का दान भी किया जाता है। इस साल व्रत के दिन शनि जयंती का योग भी है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
🪔बरगद के पेड़ का धार्मिक महत्व
बरगद का पेड़ न सिर्फ एक वृक्ष है, बल्कि हिंदू आस्था और परंपरा में एक जीवंत प्रतीक है। इसे अक्षय वटवृक्ष कहा जाता है । धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बरगद में त्रिमूर्ति का निवास माना गया है। इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता है। इसकी लटकती हुई जटाएं मां सावित्री का स्वरूप मानी जाती हैं, जो त्याग, तपस्या और संतान की कामना की देवी हैं।

कहा जाता है कि यक्षों के राजा मणिभद्र से ही इस वटवृक्ष की उत्पत्ति हुई थी, और तभी से यह दिव्यता का वाहक बना। स्त्रियां विशेष रूप से वट सावित्री व्रत के दिन इस पेड़ की पूजा करती हैं, पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना से। बरगद का पेड़, अपने विशाल स्वरूप और छांव के साथ, एक ऐसी छाया देता है जो केवल शरीर को नहीं, आत्मा को भी शांति देती है।
🪔वट सावित्री व्रत में क्यों होती है बरगद की पूजा ?
वट सावित्री व्रत बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विद्यमान हैं। मान्यता है कि पेड़ की जड़ें ब्रह्मा, तना भगवान विष्णु का और भगवान शिव का शाखाओं में वास होता है। कहते हैं वट सावित्री व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस तरह सावित्री अपने समर्पण से अपने पति सत्यवान को यमराज से वापस लाई थीं, उसी तरह इस शुभ व्रत को रखने वाली विवाहित महिलाओं को एक सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
⚜️कैसे करें वट सावित्री व्रत में बरगद की पूजा ?
- वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद व्रत का संकल्प लें और सोलह श्रृंगार करें।
- पूजा सामग्री में रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप-बत्ती और कच्चा सूत शामिल करें।
- महिलाएं बरगद के पेड़ के नीचे एकत्र होकर व्रत कथा का श्रवण करें।
- फिर बरगद के वृक्ष को जल चढ़ाएं और रोली-चंदन से तिलक करें।
- कच्चे सूत को बरगद के तने के चारों ओर 7 या 11 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें।
- पूजा के बाद 7 या 11 सुहागिन स्त्रियों को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, काजल और वस्त्र दान करें।
⚜️बरगद के पेड़ के नीचे करें ये दान
वट वृक्ष की पूजा के बाद 7 या 11 सुहागिन स्त्रियों को दान देना शुभ माना जाता है। यह दान श्रद्धा और सौभाग्य का प्रतीक होता है, जिसे प्रेमपूर्वक अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस दान से सुहाग पर कोई संकट नहीं आता और सौभाग्य की रक्षा होती है। त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है जिससे वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और प्रेम बना रहता है। इस दिन का दान संतान सुख की प्राप्ति में भी सहायक माना गया है।
*🚩हरिऊँ🚩*