सन्मार्ग।(कहानी)-राजीव शर्मन

Share this post

अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी समीप रेलवे-स्टेशन क्रासिंग ब्रिज एवं समादेशक गृह रक्षा वाहिनी कार्यालय अम्ब तहसील अम्ब-177203 जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।

  *देवभूमि न्यूज 24.इन* 

एक वृद्धा माताजी रामेश्वरी श्री पांडवकालीन शक्ति-स्थल वनखंडी में श्री बगलामुखी द्वार में पौंग बांध में उजड़ने वाली अपनी मकान-जमीन को बचाने की फरियाद लेकर मंदिर महन्त के पास पहुंची थी। मंदिर महन्त ने माताजी को साफ साफ बतलाया था कि प्रकृति से मानवीय अनावश्यक छेड़-छाड़ विगत सौ सालों से बदस्तूर जारी है। ऐसे में देव शक्तियां भविष्य में क्या तांडव दिखलाने वाली है? इस बारे कुछ नहीं कहा जा सकता है। वृद्ध माता जी का कहना था कि माता बगलामुखी जी की भाटक विद्या में उसने अपने एक मात्र कुलभूषण चिराग सोहन सिंह को बड़ी कठिनाई से जूझते पाल पोस कर बड़ा किया है। अब ना जाने आगे क्या होने वाला है?सोहन सिंह का शाहपुर-नूरपुर कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का पुश्तैनी मकान-जमीन पौंग डैम -बांध-झील की जद में आने से जलमग्न हो गया था।
इस घटनाक्रम के चलते सोहन सिंह के हजारों गांव वासियों ने अन्यत्र जिलों जहां सरकार ने विस्थापित परिवारों को जगह-जमीन के मुरब्बे उपलब्ध कराए थे,वहां सभी परिवार पलायन करने को बिवश हो गए थे। नई जगह पर उपलब्ध जमीन पर अपने को स्थापित करना बहुत चुनौतीपूर्ण कार्य था।
सोहन सिंह के परिवार को पहाड़ी क्षेत्र जिला मंडी के करसोग में एक बीघा जमीन का मुरब्बा उपलब्ध करवाया गया था। इस दुर्गम क्षेत्र में स्थापित होना सचमुच बहुत संघर्षरत जीवन यापन की जटिलता थी।
ऐसे में सोहन सिंह की टेलरिंग कला का हुनर काम आया तथापि वह शहर के सरताज फ्रैंडज टेलर के यहां टेलरिंग का काम करने लग गया था। सोहन सिंह ने अपने ससुराल में रहने के लिए छोड़े हुए अपनी धर्म पत्नि और तीन बच्चों को भी शहर के बाबा भूतनाथ मंदिर समीप मुशीं खेमचंद का मकान कार्य पर ले लिया था। ऐसे में पहाड़ी क्षेत्र करसोग के एक बीघा जमीन मुरब्बा को कोऑपरेटिव सोसाइटीज के हेमचंद को खेती-बाड़ी बीजने हेतु सालाना किराए के राजीनामे पर दे दिया था। सोहन सिंह की माली हालत धीरे धीरे सुदृढ होने लगी तो नजदीकी रिश्तेदारों ने संसारिक प्यार ही प्यार बरसाते हुए सोहन सिंह के किराए के मकान पर आना जाना शुरु कर दिया था। सोहन सिंह की वृद्ध माताजी ने उसको स्वार्थ प्रयोजन की स्वयं सिद्धी करने वाले रिश्तेदारों से दूरी बनाए रखने की सावधानीपूर्वक नीति अपनाने का परामर्श दिया था किंतु सोहन सिंह की टेलरिंग की बढ़ती आमदनी और खरीदी गई दुकान में बिठाए गये कारीगरों की सम्पन्नता के आगे वह किसी की बात मानने को तैयार नहीं था। निजी रिश्तेदारों के साथ साथ मित्र मंडली की भी समय समय पर आर्थिक मदद करने का बड़बोलेपन ने सोहन सिंह को मदमस्त कर दिया था।
हालांकि सोहन सिंह की धर्म पत्नि ने भी सोहन सिंह को काफी समझाया कि दो लड़कों व एक लड़के की परवरिश ,पढ़ाई-लिखाई के लिए निकट भविष्य में काफी धन बल की जरूरत पड़ेगी। सोहन सिंह पर तो अमीरी प्रदर्शन का भूत सवार हो चुका था। वृद्ध माताजी रामेश्वरी केवल मात्र देवी माताजी से प्रार्थना करती रही थी कि किसी सम्भावित खतरे से उसके लाल सोहन सिंह का भविष्य सुरक्षित होना चाहिए था।
सभी रिश्तेदार और दुनियावी मित्र सोहन सिंह के नशे में चूर होने का भी भरपूर लाभ उठा रहे थे। शराब की लत में सोहन सिंह रत हो चुका था। इस घटनाक्रम के चलते सबसे पहले वृद्ध माताजी रामेश्वरी चल बसी थी। इसके बाद सोहन सिंह की धर्म पत्नि भी बीमार रहने लगी थी।
पेट की भारी तकलीफ के चलते आप्रेशन करवाया गया था। यह आप्रेशन ठीक नहीं बैठा तो सोहन सिंह ने पहाड़ी क्षेत्र करसोग में उपलब्ध जमीन एक बीघा को बेचकर पत्नि का जालन्धर में आप्रेशन करवाया किन्तु उसकी मृत्यु हो गई थी।
सोहन सिंह का संसार लुट चुका था।
ऐसे में केवल मात्र उसकी पत्नि की एक मात्र बहन सीमा इस विकट परिस्थिति का डटकर सामना करते हुए साथ दे रही थी। सोहन सिंह के तीनों बच्चों के साथ उनकी मासी सीमा काफी घुल-मिल कर उनकी माताजी की कमी को पूरा करने में जुटी हुई थी। सोहन सिंह को तो अब किराए के मकान का किराया अदा करना भी मुनासिब नहीं हो रहा था। टेलरिंग की खरीदी हुई दुकान को निजी रिश्तेदार ने चालाकी से हड़प लिया था। सीमा ने इस बारे सोहन सिंह के सास ससुर व अपने माता पिताजी के साथ गहन मंत्रणा कर ली थी। श्री माताजी बगलामुखी के दरवार में सोहन सिंह सीमा व बच्चो समेत नतमस्तक हो गया था।
माताजी बगलामुखी की अपार कृपा से एक साल के भीतर ही कांगड़ा में सोहन सिंह सपरिवार स्थापित हो गया था। बच्चों की मासी सीमा ही उसकी विधिपूर्वक जीवन संगनि बन गई थी। यहां श्री बगलामुखी माताजी दरवार समीप गांव में जीवन यापन करता है। श्री बगलामुखी माता जी दरवार समीप सोहन सिंह की पूजा सामग्री व माताजी के श्रृंगार की दुकान संचालित होती है। सीमा उसका भरपूर सहयोग करती है। तीनों बच्चों का विवाह हो चुका है। सोहन सिंह श्री माताजी बगलामुखी की अलौकिक कृपालत्व के चलते वह सन्मार्ग पर चल पड़ा है।

  • + +