विमल नेगी मौत मामले की सीबीआई जांच के खिलाफ अपील नहीं करेगी सरकार:मुख्यमंत्री

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देवभूमि न्यूज 24.इन


मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ किया है कि हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा विमल नेगी केस की जांच शिमला पुलिस से सीबीआई को देने के आदेश को राज्य सरकार स्वीकार करती है और इस आर्डर के खिलाफ कोई अपील नहीं की जाएगी। विमल नेगी के परिवार को न्याय दिलाने के लिए इस आदेश की अक्षरश: पालना होगी। दिल्ली से लौटते ही सोमवार को राज्य सचिवालय में प्रेस वार्ता में उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि इस ऑर्डर में न्यायाधीश की एक टिप्पणी से वह सहमत नहीं हैं, जिसमें उन्होंने हिमाचल के अफसरों को जांच में शामिल न करने को कहा है। इस तरह इंगित करेंगे, तो हाई कोर्ट में भी कई जज हिमाचल के ही हैं। राज्य सरकार इस जांच में सीबीआई की हर संभव मदद करेगी। उनका प्रण है कि प्रदेश को किसी भी तरीके से लुटने नहीं दिया जाएगा।

विमल नेगी केस में भी भाजपा ने राजनीति और षड्यंत्र किया है, जिसका जवाब जनता देगी। मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कहा कि राज्य सरकार अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी। जिस तरह इस केस में अधिकारियों ने व्यवहार किया है, वह ठीक नहीं है और इस बारे में वह एक अलग बैठक कर कार्रवाई करने जा रहे हैं। वह दिल्ली में जब नीति आयोग की बैठक से निकले, तो पता चला कि शिमला में प्रेस वार्ता हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस केस में अफसरों की आपसी खींचतान के कारण कोर्ट में अलग-अलग हलफनामे दायर हुए, जिससे विमल नेगी के परिवार और लोगों में संदेह फैला। जांच के दौरान यह भी पता चला कि एक पेन ड्राइव भी गायब है। हालांकि फोरेंसिक ने यह डाटा रिट्रीव कर लिया है।

कोर्ट में हलफनामा दायर करने से पहले डीजीपी अतुल वर्मा ने मुझसे मिलकर यह सुझाव दिया था कि शिमला पुलिस की एसआईटी को बदल देते हैं, लेकिन मैंने इनकार किया। मैंने डीजीपी को भी कहा कि इससे अच्छा है, हम खुद ही मामला सीबीआई को दे देते हैं, क्योंकि एसआईटी बदलने पर भाजपा दुष्प्रचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ओंकार शर्मा की कमेटी की जांच रिपोर्ट आने के बाद लीगल एडवाइज पर उन्होंने उन अफसरों के बयान भी लेने को कहा था, जिनके ऊपर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस कमेटी की रिपोर्ट में था कि आरोप लगाने वाला व्यक्ति विपिन गुलरिया है, जो पेखुवाला प्रोजेक्ट का हैड रहा है। इसी ने इस प्रोजेक्ट में 170 करोड़ का भुगतान किया है, इसलिए आरोप मोटिवेटेड भी हो सकते थे।

पेखुबेला सोलर प्रोजेक्ट 15 अप्रैल, 2024 में बन गया था, जबकि विमल नेगी ने जून 2024 में पावर कारपोरेशन में ज्वाइन किया। जांच यह भी बताती है कि जुलाई 2024 से विमल नेगी ने मनोचिकित्सा से संबंधित दवाएं लेना शुरू कर दी थीं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी था कि पावर कारपोरेशन में नौ महीने में ऐसा क्या हो गया, जो विमल नेगी की लाश बाद में मिली। हिमाचल सरकार ने विमल नेगी की परिवार की डिमांड पर ही देशराज को सस्पेंड किया था और हरिकेश मीणा को पावर कॉरपोरेशन से हटाया था।

एमएलए खरीद कर सांसद बने हर्ष महाजन भी भ्रष्टाचार की बात कर रहे

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेता विमल नेगी के परिवार को न्याय के लिए चिंतित नहीं हैं, बल्कि वह सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री, जिनके भ्रष्टाचार के कारनामे वर्तमान सरकार के पास हैं, वह भी भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। हाल ही में सांसद बने हर्ष महाजन तक भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं, जो सांसद ही करप्शन के कारण बने हैं, क्योंकि उन्होंने विधायक खरीदे थे। यह जब सहकारी बैंक के अध्यक्ष थे, तो भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ मामला दायर किया था, लेकिन चुनाव से पहले इसे वापस ले लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी यह ध्यान रखें कि जो भी बात करें, वास्तविकता पर करें। जो पार्टी विधानसभा के अंदर भ्रष्टाचार पर चर्चा के समय आरोप साबित नहीं कर पाई, वह बाहर झूठे आरोप लगा रही है।