हमारा चल-चित्र। (कहानी)

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  • राजीव शर्मन

अम्बिकानगर-अम्ब कॉलोनी समीप रेलवे-स्टेशन क्रासिंग ब्रिज व कमांडर होम गार्डज कम्पनी कार्यालय अम्ब तहसील उपमंडल अम्ब-177203,जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश।

  *देवभूमि न्यूज 24.इन*   

शहर की रमणीयता निहारने के चारों दिशाओं के मुख्य चार उच्च शिखर आज भी मौजूद है। पूर्वोत्तर में सर्वप्रथम मोतीपुरधार की माता जी का उच्च शिखर, जहां से पूर्वोत्तर के छोर से अनवरत बहती आ रही विपाशा (व्यास दरिया) नदी नये-पुराने शहर का विभाजन करती आई थी। दक्षिण की ओर टारनाधार श्यामा काली टारना माता जी के शिखर से समूचा रमणीय शहर दृष्टिगोचर होता आया है। उत्तर दिशा के शिखर छिप्पणूं-रुंझ-बिजणी से भी शहर का खाका बखूबी खींचा जाता रहा है। यही नहीं पश्चिम शिखर गंधेरु पर्वत (गणधब्बा) सिद्ध गणपति धार आज भी शहर की सुंदरता का चश्मदीद ऐतिहासिक केंद्र बिंदू जस का तस स्थित है। चारों दिशाओं से आने वाले ग्रामीण किसानों, बागवानों, दुधारू पशुपालकों, मजदूरों और नौकरी पेशा करने वालों की यह शहर मुख्य शरणस्थली रही है। गांवों में स्कूली शिक्षा उपरांत कालेज आने वाले छात्र-छात्राओं का भावी भविष्य भी यही शहर तय करता आया था। जी हां यह पौराणिक रियासतकालीन श्री मांडव्य नगर जनपद छोटी काशी विभिन्न शिवालयों और शक्ति-स्थल मंदिरों का प्रसिद्ध शहर कालान्तर में मंडी जिला मुख्यालय से सुप्रसिद्ध जाना जाता है।व्यास नदी तट पर स्थित श्री मांडव्य शिला इस शहर का प्राचीन इतिहास दोहराती रहती है। इस शहर के विद्यालयों, आई0टी0आई0 और कालेज ने लाखों युवक-युवतियों का भविष्य संवारने में अहम भूमिका निभाई है।
सौ साल पहले रियासतकालीन समय से ही यहां शैक्षणिक संस्थान, आईटीआई व अस्पताल साकार कर लिए गए थे।
नित्यप्रति गांव से पैदल चलकर पंद्रह मील का पगडंडी सफर तय करने वाले तुंगल घाटी के कमलकांत शहर का बहुविधी खाका खींचकर बहुत प्रभावित था। जवाहर नगर के अर्थ शास्त्र के प्रोफेसर दीनानाथ टंडन जी कमलकांत के नित्यप्रति गांव से शहर के कालेज आने जाने की मुक्त कंठ से प्रशंसा किया करते थे। प्रोफेसर साहब अक्सर क्लास में कहा करते थे कि कमलकांत को रोजमर्रा तुंगल घाटी से शहर के कालेज में आने की कोई मजबूरी नहीं है। उसका शहर में भी पुश्तैनी मकान था किंतु उस मकान को जबरन फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के चलते शहर के उषा सिलाई मशीन के डीलर ने एक नई अनसुलझी कशमकश में धकेल दिया था। इस फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के चलते दोनों ओर के नजदीकी रिश्तेदारों में अदालती मुक़दमे के अन्तर्गत जद्दोजहद तेज हो चुकी थी। कमलकांत के पिताजी ने हालांकि शहर में इस फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी। उनका यह प्रयास असफल हो गया था। कमलकांत के पिताजी स्थानीय अस्पताल में साधारण ड्राईवर हुआ करते थे। उषा सिलाई मशीन के डीलर की शरमायादारी की तूती बोला करती थी। सियासतदान तत्कालीन मुख्य मंत्री डाक्टर परमार भी उनके घर पधारे थें। ड्राईवर की फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के विरुद्ध आवाज कुचलने के लिए अस्पताल के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर बत्तरा को ड्राईवर को झूठे केस में फंसाकर मुअतल करा दिया गया था। कमलकांत जी के पिताजी ने सालोंसाल अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करके लम्बा संघर्ष किया था। ऐसे में किसी का भी मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है? कमलकांत जी के पिताजी साधारण ड्राईवर थे ।
ऐसे में कमलकांत ने सुक्ष्म बुद्धि का परिचय देते हुए शहर के इस कानूनी विवादास्पद मकान में रहने का इरादा छोड़कर तुंगल घाटी से नित्यप्रति कालेज की पढ़ाई-लिखाई पूरी करने हेतु शीत युद्ध का ऐलान कर रखा था।
कमलकांत के निजी रिश्तेदार इस मामले में चुप्पी साधे हुए मूक दर्शक बनकर रह गए थे।
कमलकांत दृढ़संकल्पित होकर अपने मिशन में डटा हुआ था।
सभी नजदीकी रिश्तेदारों नें कमलकांत के इस महासंग्राम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। कमलकांत को कहीं से भी किंचित मात्र सहायता की कोई उम्मीद नहीं थी। इस दौरान कमलकांत के पिताजी का भी असमायिक निधन हो गया था।
कमलकांत ग्रेजुएशन करने उपरांत उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाया था। ऐसे में तुंगल घाटी को ही कर्मस्थली चुनना कमलकांत की मजबूरी बन चुकी थी।
अपने अथक परिश्रम के चलते कमलकांत नें गांव की जमीन का कायाकल्प कर दिया था। किसानी-बागवानी,दुधारू पशुओं का पालन, पोल्ट्री फार्म से आर्थिक स्थिति सुदृढ कर ली थी।
कमलकांत ने फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री करवाने वाले स्वर्गीय उषा सिलाई मशीन के तीसरी पीढ़ी के वंशजों से समझौता करने की गर्ज से सम्पर्क साधकर मामला पैसे के आदान प्रदान से सुलटाने की भरसक कोशिश नाकामयाब होकर रह गई थी। साठ साल से भी ज्यादा समय का फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री मामला अनसुलझा बना हुआ है। कोई भी विवादास्पद फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री का वंशज इस सम्पति पर काबिज हो नहीं सकता था। साठ साल एक बहुत लम्बा कानूनन रिकार्ड दर्ज किया जा चुका है । अदालतन फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री मामला उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय के बावजूद भी लटका हुआ है। सम्पति पर फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री करने वालों की हेकड़ी आज भी बरकरार है। उनका कहना है कि हमने आज भी इस सम्पति में राजस्व रिकॉर्ड नामकरण दर्ज करा रखें है। यह फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के नामकरण पीढ़ी दर पीढ़ी इस तरह से चलते रहेगें? एक सज्जन पड़ोसी ने जज शांति स्वरूप लट्ठ की अदालत में गवाही दर्ज करवाई कि हजूर उषा सिलाई मशीन डीलर ने यह फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री कराकर आने वाली अपने कुल व पड़ोसी कुल की नस्लों का भविष्य धूमिल कर रखा है। कमलकांत समेत ना जाने कितने ही हिस्सेदार इस अन्यायोचित फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के शिकार हो चुके है। फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री मामला एक बार पुन: अदालत के विचाराधीन नये सिरे से लाया जा चुका है। कमलकांत की ओर से अपील दायर की गई है कि साठ सालों का फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री मामला हर हालत में उसे न्याय दिलवाया जाना चाहिए।
कमलकांत का कहना है कि उसके दादाजी,पिताजी सभी दिवंगत हो चुके है। यही नहीं उषा सिलाई मशीन डीलर स्वंय, उसके सुपुत्र और प्रपौत्र भी स्वर्ग सिधार चुके है। कमलकांत आशावादी न्यायोचित फैसले के प्रति आशातीत बना हुआ है ताकि दोनों पार्टियों का भावी भविष्य बर्बाद ना होकर आपसी सहमति से ही अदालत के माध्यम से मामला हल कर लिया जाए?

कमलकांत की व्यथा हमारी चलचित्र कहानी है। ना जाने कितने ही मामले फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री के माध्यम से भावी पीढ़ी के लिए अभिशाप बन कर रह गये है।
इस फीचर के लेखाकार को तुंगल घाटी में कमलकांत से मिलने का पिछले दिनों सौभाग्य प्राप्त हुआ। कमलकांत का कहना है कि वह 75 साल की आयु पूर्ण करने जा रहा है जबकि उषा सिलाई मशीन डीलर ने जब यह मिलीभगत से फर्जीवाड़ा रजिस्ट्री का राजस्व इंद्राज दर्ज करवाया तो वह बहुत छोटा बालक था।
अब हम सभी की निगाहें अदालत के फैसले पर टिकी हुई है कि अदालत शीघ्रातिशीघ्र ही न्यायोचित निर्णय देकर भावी पीढ़ी का भविष्य उज्जवल व सुरक्षित बनवाने में अपनी अहम भूमिका अवश्य ही सफलतापूर्वक मुकाम हासिल करेगी।