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निर्जला एकादशी व्रत
एकादशी वृद्धि तिथि सिद्धांत के हिसाब से 07 जून 2025 शनिवार को रखा जाएगा। जिसका पारण अगले दिन 08 जून, रविवार को प्रातः सूर्योदय से सुबह 07:10 के बीच में किया जाएगा।
🔥 *इस बार एकादशी 6 जून को भी संपूर्ण दिन रहेगी, अतः 0,6 जून को भी एकादशी व्रत रखा जा सकता है लेकिन जो व्यक्ति 6 जून को एकादशी व्रत रखेंगे उन्हें व्रत का पारण अगले दिन अर्थात 7 जून को दोपहर 2:00 बजे बाद ही करना होगा।
🔥 *शास्त्र मतानुसार जब एकादशी का संबंध दो दिनों से हो जाए तो दोनों दिन एकादशी का पालन करना अति श्रेष्ठ माना जाता है। अतः जो व्यक्ति 7 जून को एकादशी व्रत रख रहे हैं उन्हें 6 जून को भी सात्विक भोजन व पवित्रता से ही इस दिन को बिताना चाहिए। और 8 जून को पारण के समय ही पारण करना चाहिए।
निर्जला एकादशी पूजा विधि
➡️*निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए।
➡️*निर्जला एकादशी व्रत में किसी प्रकार का अन्न व जल ग्रहण नहीं किया जाता।

🌹*यदि आप बिना कुछ खाए- पिए नहीं रह सकते तो आप दिन में फल, फ्रूट, दूध, मेवा इत्यादि ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन इस दिन अनाज व तामसिक भोजन का सेवन बिलकुल वर्जित है
🍄 *इस दिन जो भी आप फल- दूध इत्यादि ग्रहण करें, उससे पहले भगवान के भोग लगाएं और उसमें तुलसी दल जरूर डालें।
🍄 *एकादशी व्रत के दिन सबसे पहले घर के मंदिर में भगवान के समक्ष शुद्ध गाय के घी का दीप- धूप प्रज्वलित किया जाता है।
🍄 *भगवान श्री विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी पत्र चढ़ाए जाते हैं।
🍄 *भगवान को सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है, ध्यान रहे भगवान के भोग में तुलसी दल अनिवार्य रूप से डालें।
🍄 *इसके बाद आरती की जाती है और निर्जला एकादशी व्रत कथा इत्यादि सुनी जाती है।
🍄 इस दिन भगवान श्री विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
निर्जला एकादशी व्रत के दिन
दान का महत्व
⏩ इस दिन बच्चों व बुजुर्गो को दूध, फल, फ्रूट इत्यादि बाटें जाते हैं।
⏩ देवालयों में व किसी सात्विक व पवित्र आचरण वाले व्यक्तियों को फल, फ्रूट, वस्त्र, छाता, चप्पल, पानी का घड़ा, पानी की बोतल, पंखे, कूलर , दक्षिणा इत्यादि भेंट किए जाते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
💥 *पौराणिक कथा है कि भीम की भूख अत्यंत तीव्र थी वे भूखा नहीं रह सकते थे इसके कारण कभी व्रत नहीं रखते थे. तब वेद व्यास जी ने उनको बताया था कि वर्ष में सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रखने से सभी एकादशी व्रतों का पुण्य प्राप्त हो जाएगा।
विधि पूर्वक निर्जला एकादशी व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी व्रत विधिपूर्वक संपन्न करने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और शास्त्र मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद भगवान विष्णुजी की कृपा से बैकुंठ में स्थान मिलता है.।
एकादशी के दिन करें जप तप
💥 *इस दिन भगवान के पवित्र नामों का जाप करने शास्त्रीय विधान है। श्री गायत्री मंत्र का जप, श्री रामचरितमानस पाठ, गीता का पाठ, हरे कृष्ण महामंत्र का जप, श्री विष्णु सहस्त्रनाम, अपने गुरु से प्रदत्त मंत्र का जप किए जाते हैं। एकादशी व्रत में कम बोलने व मौन धारण करने ऊर्जा का संवर्धन होता है ।।
सनातन शास्त्र में निर्जला एकादशी के दिन का विशेष महत्व है, अतः प्रत्येक सनातनी को निर्जला एकादशी के दिन संभव हो सके जहां तक व्रत करना चाहिए।
➡️ *यदि इस दिन व्रत नहीं रख सकते तो इस दिन पवित्र आचरण व सात्विक भोजन ग्रहण करते हुए भगवान के नाम जप सुमिरन में ही दिन बिताना चाहिए।
👽 *शास्त्र मतानुसार एकादशी तिथि के दिन तामसिक भोजन व चावल खाना बिल्कुल निषेध माना गया है।।