*देवभूमि न्यूज 24.इन*
⭕हर साल कुल 24 एकादशी पड़ती है, जिनमें से से निर्जला एकादशी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती है. निर्जला एकादशी ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन निर्जला उपवास का पुण्य साल की 24 एकादशी के बराबर होता है. इस व्रत में पानी पीना वर्जित होता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. निर्जला एकदशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. निर्जला एकादशी का व्रत इस साल 6 जून, शुक्रवार को रखा जाएगा।
⚜️#निर्जलाएकादशीतिथिशुभमुहूर्त:-
इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि •6 जून 2025 को रात 2 बजकर 15 मिनट पर आरंभ हो रही है।
इसका समापन •7 जून को सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर होगा।
ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 के दिन रखा जाएगा। इस दिन हस्त नक्षत्र बन रहा है, जो सुबह 6 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इसपर व्यतीपात योग का संयोग भी बना रहेगा।
🚩#पारणकासमय:- निर्जला एकादशी के पारण का समय •7 जून को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 31 मिनट
तक रहेगा।
🪔#निर्जलाएकादशीकीपूजनविधि:-
निर्जला एकादशी के के दिन सुबह स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें. भगवान विष्णु को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. साथ ही भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें. व्रत का संकल्प लेने के बाद अगले दिन सूर्योदय होने तक जल की एक बूंद भी ग्रहण ना करें. इसमें अन्न और फलाहार का भी त्याग करना होगा. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को स्नान करके फिर से श्रीहरी की पूजा करने के बाद अन्न-जल ग्रहण करें और व्रत का पारण करें।
🪔निर्जलाएकादशीका_महत्व:-
हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी माना जाता है। इस दिन जल तक ग्रहण नहीं किया जाता है। इसे मोक्षदायिनी एकादशी के अलावा भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। इस एकादशी का व्रत सबसे पहले पांडव पुत्र भीम ने रखा था। इसी के कारण इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से कई गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। कई तरह के अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है और सुख-समृद्धि, धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन अपनी जरूरत के हिसाब से जल, वस्त्र, धन, भोजन आदि का दान अवश्य करना चाहिए।
🪔 #निर्जलाएकादशीविष्णुमंत्र:-
📿 #विष्णुमूल_मंत्र:-
🚩ॐ नमोः नारायणाय॥
🔔उपरोक्त मंत्र भगवान विष्णु का मूल मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से विष्णु जी अवश्य प्रसन्न होते हैं।
📿 #भगवतेवासुदेवायमंत्र:-
🚩ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥
🔔श्री विष्णु का जो भी साधक इस मंत्र का जाप करते हुए ध्यान लगाता है उसे भगवत कृपा की प्राप्ति होती है।
📿 #विष्णुगायत्रीमंत्र:-
🚩ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥
🔔विष्णु गायत्री मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
📿 #श्रीविष्णुमंत्र:-
🚩मंगलम भगवान विष्णुः, मंगलम गरुणध्वजः। मंगलम पुण्डरी काक्षः, मंगलाय तनो हरिः॥
🛑उपरोक्त विष्णु मंत्र जीवन के सभी दुखों को दूर करके जीवन में सुख और समृद्धि प्रदान करता है।
*🚩हरिऊँ🚩*