वट पूर्णिमा व्रत 2025: 10 जून वट पूर्णिमा का व्रत? जानें सही तिथि और महत्व-डॉ दीपक दुबे

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   *देव भूमि न्यूज 24.इन*

⭕इस साल वट पूर्णिमा व्रत जून में मनाया जाएगा। ऐसे में आइए जानते हैं इसकी सही तिथि, पूजा विधि और महत्व क्या है।

वट सावित्री व्रत साल में दो बार रखा जाता है। पहली बार ज्येष्ठ अमावस्या पर और दूसरी बार पूर्णिमा के दिन। इन दोनों अवसरों पर विवाहित महिलाएं पूरी श्रद्धा से वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उसकी परिक्रमा करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। यह उपवास विशेष रूप से कठिन माना जाता है क्योंकि इसे निर्जला रखा जाता है।

⚜️वट पूर्णिमा व्रत 2025 तिथि
वर्ष 2025 में यह पर्व विशेष रूप से उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में श्रद्धा से मनाया जाता है। इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11:35 बजे से होगी और इसका समापन 11 जून को दोपहर 1:13 बजे पर होगा। व्रत 10 जून को रखा जाएगा, जबकि स्नान और दान 11 जून को किए जाएंगे।

⚜️व्रत के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त
🚩वट पूजा मुहूर्त:- सुबह 8:52 से दोपहर 2:05 तक

🚩स्नान और दान का समय:- सुबह 4:02 से 4:42 तक

🚩चंद्रोदय:- शाम 6:45 बजे

🌕वट पूर्णिमा व्रत का महत्व
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब सत्यवान जंगल में मूर्छित होकर गिर पड़े थे, तब सावित्री ने उन्हें वट वृक्ष के नीचे लिटाया और बांस के पंखे से उन्हें हवा देकर शीतलता प्रदान की थी। उसी परंपरा को स्मरण करते हुए व्रती महिलाएं पहले वटवृक्ष को पंखा झलती हैं, फिर अपने पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। बाद में वे घर आकर पति के चरण धोती हैं और उन्हें पंखा झलकर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

🪔वट पूर्णिमा की पूजा विधि
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  • इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद सुहाग की सामग्री लेकर पूजा की एक थाली सजाएं।
  • वट वृक्ष के पास जाएं और उन्हें जल चढ़ाएं। इसके साथ ही दूध, रोली, चावल और फूल अर्पित करें।
  • इसके बाद पेड़ के चारों ओर लाल धागा या सूती कच्चा धागा लेकर 7 या 21 बार परिक्रमा करते हुए लपेटें।
  • पूजा के अंत में सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण करके आरती करें और व्रत का फल मांगें।
  • आखिर में सुहागिन स्त्रियां एक-दूसरे को सौभाग्यवती का आशीर्वाद दें और अपनी सुहाग सामग्रियों का आदान-प्रदान करें। *🚩हरिऊँ🚩*