हिमाचल प्रदेश के इतिहास में 11जून के दिन पँझोता गोलीकांड दिवस के रूप में जाना जाता है

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 *देवभूमि न्यूज 24.इन*

सिरमौर जिला के राजगढ़ में 11 जून 1943 में पँझोता आंदोलन के निहत्थे लोगो पर राजेन्द्र प्रकाश की सेना द्वारा गोलीबारी की गई
आज इस घटना को 82 साल हो गए और यह हिमाचल प्रदेश की स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में याद की जाती है पँझोता आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियो को सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों के दर्जा दिया गया इनमें स्वतंत्रता सेनानी की सूची में शिलाई क्षेत्र के गावँ द्राबिल के दीलिया राम भी दर्ज है
हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ यशवंत सिंह परमार ने शिलाई क्षेत्र के धन्कोली गावँ के पंडित सहीराम शर्मा व शिल्ला गावँ के मोहतु राम को भी स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया था

राजेन्द्र प्रकाश सिरमौर के महाराजा थे, जिनकी सेना ने 11 जून, 1943 को पझौता आंदोलन के निहत्थे लोगों पर गोलीबारी की थी। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और सात लोग घायल हुए थे।

पझौता आंदोलन के लोग महाराजा सिरमौर की दमनकारी और तानाशाही नीतियों के खिलाफ थे, जो ब्रिटिश सरकार को सेना और रसद प्रदान कर रहे थे।आंदोलनकारियों ने बेगार प्रथा को बंद करने, जबरन सैनिक भर्ती रोकने, अनावश्यक कर लगाने और आलू के उचित मूल्य की मांग की थी।
आलू का उचित मूल्य नहीं मिलने से लोगों में आक्रोश था, क्योंकि रियासती सरकार ने सहकारी सभा में आलू का रेट 3 रुपए प्रति मन निर्धारित किया था, जबकि खुले बाजार में आलू का रेट 16 रुपए प्रति मन था।
पझौता किसान सभा का गठन अक्टूबर 1942 में पझौता घाटी के लोगों ने टपरोली गांव में एकत्रित होकर पझौता किसान सभा का गठन किया। आंदोलन की चिंगारी पूरे पझौता क्षेत्र में फैल गई और लोग रियासती सरकार के खिलाफ विद्रोह करने लगे।
11 जून, 1943 को निहत्थे लोगों पर गोलीबारी हुई, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और सात लोग घायल हुए। इसके बाद 69 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया और कई लोगों को सजा सुनाई गई।¹

जगत सिंह तोमर