देवभूमि न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली
देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स (AIIMS) में इलाज कराने वालों के लिए राहत की खबर है। अब मरीजों की फाइलें खोने या बार-बार पुराने कागज लाने का झंझट खत्म होने वाला है। एम्स को पूरी तरह डिजिटल और पेपरलैस बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसका मतलब यह है कि हर मरीज की मेडिकल हिस्ट्री एक क्लिक पर डॉक्टर के सामने होगी। एम्स की ओपीडी में रोज करीब 13,500 मरीज आते हैं और 1,200 से ज्यादा भर्ती होते हैं।
कैंसर, दिल की बीमारी, न्यूरो और दूसरी गंभीर बीमारियों के मरीजों का इलाज कई साल तक चलता है। अभी तक इनके रिकॉर्ड कागजों में दर्ज होते हैं, जिन्हें मेडिकल रिकॉर्ड विभाग संभालता है। कई बार फाइलें गुम हो जाती हैं या समय पर नहीं मिलतीं। इससे इलाज में देरी और मरीज की परेशानी बढ़ जाती है।

18 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई गई
एम्स के निदेशक ने इसके लिए 18 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई है। इसमें डॉक्टरों के साथ-साथ आईटी एक्सपर्ट, निमहांस, डीआरडीओ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय और सीएसआईआर के विशेषज्ञ शामिल हैं। तीन महीने में योजना तैयार कर टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। समिति दुनिया के बड़े अस्पतालों की डिजिटल तकनीकों का अध्ययन कर एम्स में सबसे उपयुक्त सिस्टम लागू करेगी।
यह कमेटी आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) आधारित तकनीकों को भी शामिल करेगी ताकि इलाज को और स्मार्ट और सटीक बनाया जा सके। एम्स सूत्रों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज के साथ-साथ तकनीक का दखल आम आदमी की सबसे बड़ी जरूरत बनता जा रहा है। एम्स की यह पहल दिखाती है कि स्वास्थ्य और सिस्टम, दोनों को डिजिटल बनाना समय की मांग है