देवभूमि न्यूज 24.इन
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सराज क्षेत्र, विशेष रूप से थुनाग उपमंडल में 1 जुलाई 2025 की रात को हुई प्राकृतिक आपदा ने अभूतपूर्व तबाही मचाई है। कई क्लाउडबर्स्ट और फ्लैश बाढ़ ने इस क्षेत्र को तहस-नहस कर दिया, जिसे स्थानीय लोग सदी की सबसे भीषण आपदा बता रहे हैं। लगभग 80,000 की आबादी प्रभावित हुई है, और सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, थुनाग बाजार में 150 से अधिक मकान और दुकानें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं, जबकि उपमंडल में 400 से अधिक मकान आंशिक या पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।
आपदा ने थुनाग उपमंडल के साथ-साथ जरोल, देजी पखरैर, और पांडवशीला जैसे क्षेत्रों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अब तक 9 शव बरामद किए गए हैं, जिनमें थुनाग बाजार से 7, जरोल बाजार से 1, और पांडवशीला से 1 शामिल हैं।

देजी पखरैर से 17 लोग और पांडवशीला से 2 लोग लापता बताए जा रहे हैं। जरोल बाजार पूरी तरह बर्बाद हो चुका है, और थुनाग में बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा है। सभी सड़कें और पुल ध्वस्त हो गए हैं, जिससे क्षेत्र पूरी तरह कट गया है। बिजली और पानी की योजनाएं नष्ट होने से राशन का गंभीर संकट पैदा हो गया है। मोबाइल नेटवर्क ठप होने से सूचनाओं का आदान-प्रदान मुश्किल हो रहा है। अस्पताल, स्कूल, और सरकारी भवन भी आपदा की चपेट में हैं, जिनकी बहाली में महीनों लग सकते हैं। सेरथी और भद्राणा गांवों में कई मकान और गौशालाएं ढह गईं, हालांकि वहां जानमाल का नुकसान नहीं हुआ।


राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), पुलिस, और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किए। मंडी में 2 NDRF और 2 SDRF टीमें तैनात हैं, जो थुनाग, गोहर, और कारसोग में सक्रिय हैं। अब तक 332 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें मंडी से 278 शामिल हैं। जयूनी खड़ से 16 लोग (12 बच्चे, 4 महिलाएं) और रिकी गांव से 7 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। हालांकि, ध्वस्त सड़कों और पुलों के कारण बचाव कार्यों में भारी चुनौतियां हैं। पुलिस टीमें जंजैहली से पांडवशीला तक पहुंची हैं, जबकि SDRF की टीमें बगस्याड तक पहुंच पाई हैं।
थुनाग, सराज में यह आपदा न केवल जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक संरचना को भी ध्वस्त कर रही है। तत्काल हवाई सर्वेक्षण, सेना, और NDRF की व्यापक सहायता के बिना इस संकट से उबरना मुश्किल होगा। स्थानीय निवासियों की अपील और सरकार की त्वरित कार्रवाई इस आपदा से निपटने में निर्णायक साबित होगी। स्थानीय निवासियों ने सरकार से तत्काल हवाई सर्वेक्षण और सेना की मदद की अपील की है, ताकि नुकसान का सटीक आकलन और तेजी से राहत कार्य किए जा सकें। मोबाइल नेटवर्क के ठप होने से सूचनाएं एकत्र करना मुश्किल हो रहा है। लोग खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं, और राशन संकट गहराता जा रहा है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 24 घंटों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।
गुमान सिंह संयोजक
हेम सिंह अधिवक्ता
हिमालय नीति अभियान