सुप्रीम कोर्ट ने कहा:लापरवाही से हादसे में मौत हो तो मुआवजे का हक नहीं

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देवभूमि न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुआवजा दावे पर कहा कि अगर कोई शख्स खुद की लापरवाही से वाहन चलाता है और एक्सिडेंट में उसकी मौत हो जाती है तो उसके कानूनी वारिस मोटर वाहन एक्ट के तहत मुआवजे के हकदार नहीं होंगे। कोर्ट ने साफ किया कि ऐसे मामलों में इंश्योरेंस कंपनी मृतक के परिजनों या कानूनी वारिसों को मुआवजा देने के लिए बाध्य नहीं है।
एमवी अधिनियम की धारा 166 के तहत
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस. नरसिम्हा और आर. महादेवन की बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें मृतक के कानूनी वारिसों द्वारा एमवी अधिनियम की धारा 166 के तहत मुआवजे की मांग की गई थी। मृतक ने मरने से पहले लापरवाही से तेज गाड़ी चलाई थी और यह साबित हुआ। इसके आधार पर उनके कानूनी वारिसों की अर्जी खारिज कर दी गई थी।


सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। पेश मामले के मुताबिक, एनएस रविशा तेज गति से कार चला रहे थे और लापरवाही से वाहन चलाने के दौरान एक्सिडेंट में उनकी मौत हो गई। कार तेज गति के कारण पलट गई थी। मृतक के पैरंट्स, पत्नी और बेटा ने एमवी एक्ट के तहत मुआवजे की मांग की और गुहार लगाई कि उन्हें 80 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए।
याची की ओर से पेश की गई दलील
इस दलील को कर्नाटक स्थित ट्रिब्यूनल ने खारिज कर दिया। ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा कि रविशा खुद दोषी थे और उनके कानूनी वारिस मुआवजे के पात्र नहीं हैं। परिजनों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि वाहन चालक की लापरवाही से घटना हुई है। ऐसे में उसके कानूनी वारिस मुआवजे का दावा नहीं कर सकते हैं। इससे ऐसा लगता है कि जैसे कोई खुद के दोष के लिए मुआवजा पा रहा हो। याची की ओर से दलील पेश की गई कि मृतक उस वाहन का मालिक नहीं था। ऐसे में बीमा कंपनी मुआवजे की जिम्मेदारी से पीछे नहीं जा सकती है।