कलियुग के सबसे बड़े महायज्ञ मां पद्मावती की गाथा से संपूर्ण हुआ आषाढ़ मास का 10 दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ

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मां पद्मावती की गाथा सभी संतों और व्यासपीठों को सुनानी चाहिए: यति सत्यदेवानंद सरस्वती महाराज
देवभूमि न्यूज 24.इन
दौलतपुर चौक: आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि में ड़गोह खास के श्री गूग्गा जाहिर वीर मन्दिर में सनातन धर्म की रक्षा हेतु सनातन धर्म के शत्रुओं के समूल विनाश हेतु सनातनियों के आपसी भाईचारे तथा वंश वृद्धि हेतु मां और महादेव की अखण्ड भक्ति सद्बुद्धि, तथा शक्ति हेतु 10 दिवसीय मां बगलामुखी महायज्ञ तथा प्रशिक्षण शिविर सत्र कैम्प सकुशल संपूर्ण हुआ। इसकी जानकारी देते हुए अखिल भारतीय सन्त परिषद् के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के प्रभारी यति सत्यदेवानंद सरस्वती महाराज शिष्य महामंडलेश्वर यति नरसिंहानन्द गिरी जी महाराज श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने महायज्ञ के पूर्ण आहुति के वक्त समाज के लोगों को मां पद्मावती कि गाथा सुना तथा लोगों की आंखों में आंसू लाकर भाग विभोर कर दिया। उन्होंने बताया कि 1300 ईस्वी के काल खण्ड में कैसे खिलजी नाम के मुसलमान बादशाह की गाज चितौड़गढ़ के किले पर गिरी थी और कैसे उन वक्त के चितौड़ के राजा रत्न सिंह और उसके राज्य के रण बांकुरों ने अपने धर्म और राज्य के लिए बलिदान दिए थे तथा अपनी पवित्रता बचाने के लिए कैसे 16 हजार महिलाओं ने हवन कुंड में अपना जौहर कर दिया था।


कैसे चितौड़ के रण बांकुरों गोरा और बादल ने अपनी वीरता के साथ राजा रत्न सिंह को खिलजी की कैद से छुड़वाया था।
कैसे 8,10 हजार की सेना खिलजी की कई हजार सेना से लड़ते हुए साका किया था। उन्होंने कहा कि समाज फिर उसी स्थिति की और बढ़ रहा है लेकिन इस बार बचने की कोई तैयारी नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सभी धर्म गुरुओं तथा व्यासपीठों पर बैठे कथा वाचकों की जिम्मेदारी थी कि इस गाथा को अपनी हर कथा और प्रवचन में शामिल किया जाना चाहिए था। लेकिन यह सनातनियों का दुर्भाग्य है कि न तो ऐसे धर्माचार्य मिले और ये वीर गाथाएं धीरे धीरे लुप्त हो गई जिससे सनातन समाज में से बलिदान देने की चाहत धीरे धीरे भूल गए और अब जगह जगह इस्लामिक भेड़ियों की भीड़ के आगे बिना लड़े ही खत्म हो गए।
इसके समापन पर बच्चों शस्त्र प्रशिक्षण प्रहार करके तथा दंड की युद्ध कलाओं का प्रयोग करके दिखाया तथा हर हर महादेव के जय घोष से समापन किया।
इस अवसर पर मास्टर बीरबल मुख्य यजमान बने तथा उनके साथ सुरेश सोनी, राहुल ठाकुर, रवि ठाकुर, अनिल ठाकुर, मनजीत, रमन ठाकुर, रमेश सैनी, कर्ण ठाकुर सहित गांव तथा आस पास के क्षेत्र के लोगों ने पूर्ण आहुति डाल कर पुण्य अर्जित किए।