दोपहर में क्यों नहीं जाते मंदिर? क्या कहते हैं धार्मिक ग्रंथ, जानें 3 महत्वपूर्ण कारण

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*देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕सनातन धर्म में प्रतिदिन मंदिर जाना बेहद शुभ माना जाता है. हिन्दू धर्म शास्त्रों में भी रोज़ाना मंदिर जाने की बात कही गई है. मान्यता है कि प्रतिदिन मंदिर जाने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं. प्रतिदिन मंदिर जाने से जीवन में सकारात्मकता और ख़ुशहाली आती है.

सनातन धर्म में हर व्यक्ति को प्रतिदिन मंदिर जाने के बारे में कहा गया है. प्रतिदिन मंदिर जाकर देवी-देवता के दर्शन करने से सौभाग्य प्राप्त होता है,और देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है. देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करने से जीवन में सकारात्मकता आती है, और सुख समृद्धि प्राप्त होती है. हालांकि मंदिर जाने के लिए भी हिन्दू धर्म शास्त्रों में कुछ समय निश्चित किये गए हैं. मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए सुबह और शाम का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार दोपहर के समय मंदिर जाना सही नहीं होता है. माना जाता है कि दोपहर में भगवान की पूजा आराधना करने से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है. जानिये दोपहर में मंदिर जाना क्यों सही नहीं होता है.

⚜️दोपहर में मंदिर जाना क्यों वर्जित है?
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🔔धर्म शास्त्रों में दोपहर में मंदिर न जाने के पीछे तीन कारण बताए गए हैं.

-पहला कारण दोपहर के समय हमारे शरीर में आलस भरा होता है. हमारा दिमाग नींद में होता है. ऐसे में भगवान के दर्शन और पूजा पाठ में सही से मन नहीं लग पाता, जिस कारण पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है, इसलिए दोपहर में भगवान के दर्शन करना उचित नहीं माना जाता है.

-दूसरा प्रमुख कारण जो धर्म शास्त्रों में बताया गया है, कि ज़्यादातर मंदिरों के पट दोपहर के समय बंद कर दिए जाते हैं. दोपहर का समय भगवान के शयन के लिए होता है. ऐसे में दोपहर के समय मंदिर जाने से भगवान की निद्रा में बाधा उत्पन्न होती है. इसी कारण दिन में मंदिर जाना उचित नहीं माना जाता है.

-हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार सुबह और शाम का समय मनुष्यों और पवित्र जीवों का होता है, जबकि दोपहर और रात का वक़्त प्रेतों, पितरों और अतृप्त शक्तियों का माना गया है. इस समय अदृश्य शक्तियां ईश्वर के दर्शन के लिए मंदिरों में मौजूद रहती हैं, ताकि उन्हें उस योनि से मुक्ति मिल सके. ऐसे में आपका दिन के समय मंदिर जाना उचित नहीं होता है.

         *🚩हरिऊँ🚩*