देवभूमि न्यूज 24.इन
पिछले कल से वर्षा हो रही है लगभग 140 mm वर्षा रिकॉर्ड हुई है वर्षा मध्यम है। नदी नाले उफान पर हैं। यह लगभग पूरे प्रदेश या यूं कहें उत्तर भारत के हाल हैं। सभी ध्यान रखें।
हम जिला आपदा प्रबंध का हिस्सा हैं और पिछले 12 सालों से इस पर काम कर रहे हैं। पूरे विश्व में इस पर काम हो रहा है। अच्छी बात है कि भारत में भी पिछले 15 सालों से इस पर काम हो रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मन मोहन सिंह की एक खासियत थी कि वो इतने आधुनिक विचारों और तकनीकी के साथ ज्ञान के भंडार थे कि हर वैज्ञानिक सोच पर समय गंवाए पूरे देश में कार्य किया जाता रहा है। आपदा एक्ट बना और इस पर काम शुरू किया गया पूरे देश में। हमने भी पालमपुर में 2012 में परिवार सहित यानी धर्म पत्नी अरुणा और बेटी डॉ अंजली के साथ तीन दिन की कार्यशाला अटेंड की। तब से प्रदेश स्तर पर हम लोग इसका हिस्सा हैं।
हम इससे भी पीछे चलते है 1972 अंतराष्ट्रीय पर्यावरण पर शायद रियो में एक सम्मेलन हुआ था और उसमें उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसमें शामिल हुईं और धरती के बढ़ते तापमान के संदर्भ में विश्व स्तर पर समझ के साथ इसे नियंत्रण करने की योजना भी बनी ! इसी के मध्यनजर 1980 फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट बना। जिससे भारत में वन क्षेत्र में अंधाधुंध कटाई पर अंकुश लगा। हम खुश किस्मत हैं कि हम इस दौर में 1984 में वन अधिकारी के रूप में इस कार्य का हिस्सा रहे।
समय के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक आर्थिक सामाजिक सामरिक घटना क्रम बड़ी तेजी से बदलते गए। 21 वीं सदी आते आते विश्व स्तर पर धरती के तापमान को नियंत्रित करने पर काफी अंतरराष्ट्रीय सहमति बनी। इसमें विकसित राष्ट्र जिसमें अमेरिका के साथ यूरोप के देश शामिल हैं पर दबाव बना की क्योंकि वे धरती के संसाधनों का ज्यादा दोहन करते हैं तो वे एक तरफ टेक्नोलॉजी को कम विकसित देशों को देंगे और खुद पहल करेंगे कि धरती के तापमान बढ़ने के कारकों को कम करें साथ में दूसरे देशों को इसके प्रभाव कम करने के लिए वित्तीय सहयोग करें। पर 2020 आते आते सारी व्यवस्थाएं चरमराने लगीं।
धरती का तापमान बढ़ी तेजी से बढ़ने लगा इसमें भारत और चीन जैसे देश क्योंकि बड़ी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं है भी धरती के बढ़ते तापमान में बड़ी मात्रा में हिस्सेदारी करने लगे हैं।
आज हालात ये हैं कि धरती के बढ़ते तापमान के नतीजे दिखने लगे हैं। हिमालय क्षेत्र जिसमें उत्तराखंड हिमाचल प्रदेश के साथ जम्मू कश्मीर में आए दिन बाढ़ से बहुत बड़े स्तर पर नुकसान हो रहा है। इतना ही नहीं पूरे देश में यहां तक राजस्थान गुजरात यहां वर्षा कम होती है बाढ़ के दंश को झेल रहे हैं।
अभी लद्दाख के जाने पाने पर्यावरणविद सोनम वांगचुक चेतावनी दे रहे हैं कि यदि संभले नहीं तो 3 साल कुछ महीनों में हिमालय क्षेत्र में प्रलय जैसे हालात होंगे। उन्होंने अपने सैकड़ों साथियों के साथ लद्दाख हिमाचल पंजाब हरियाणा होते हुए दिल्ली तक पर्यावरण सरंक्षण यानी धरती के बढ़ते तापमान को नियंत्रण करने के लिए विश्व का ध्यान आकर्षित करने हेतु पैदल मार्च किया। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस बारे चर्चा करना चाह रहे थे साथ में लद्दाख के मसले भी थे पर उन्हें साथियों सहित लद्दाख भवन नजरबंद किया गया और प्रधानमंत्री ने मिलना तो छोड़ें सुना ही नहीं गया और बापिस लद्दाख आना पड़ा। इससे केंद्र सरकार की पर्यावरण बारे असंवेदनशीलता झलकती है।
हिमाचल प्रदेश में 2023 में बड़े स्तर पर बाढ़ के हालात बने इसका केंद्र पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का विधानसभा क्षेत्र सराज रहा और इस वर्ष भी यहां ज्यादा बाढ़ से नुकसान हुआ है। कारण साफ है कि पिछले 27 वर्षों में यहां से जय राम ठाकुर विधायक रहे हैं और वे एक बार मंत्री और 2017 में मुख्यमंत्री बने और अपने विधानसभा में खूब बेतरतीब विकास किया। छोटी सी जगह थुनाग को तहसील लेवल से जिला स्तर के दफ्तरों से सुसज्जित किया। यानी अंधाधुंध भवन सड़कें बनी यहां तक अपने घर के साथ लगते टॉप पर हेलीपैड भी बनाया। नतीजा सारा थुनाग बाढ़ के बहुत बड़े प्रकोप का दंश झेल रहा है साथ के क्षेत्र विशेषकर जंजैली भी बर्बाद हुआ क्योंकि इसे पर्यटन के लिए विकसित किया। ऊपर शिकारी देवी मंदिर तक पक्की सड़क वाइल्डलाइफ सेंचुरी होते हुए भी बनाई गई। काफी जंगलों को नुकसान हुआ। यह एक पूरे देश के लिए एक उदाहरण है कि बिना पर्यावरण सरंक्षण का ध्यान रखे विकास मानवता पर बहुत बड़ा कहर बरपाता है।
सभी सचेत रहें और अपने घर से आपदा प्रबंध की शुरुआत करें। समय रहते सभी खुद को सुरक्षित रखने के उपाय करें। सरकार प्रशासन भी ध्यान रखे कि कुदरत के साथ सामंजस्य बनाते हुए ही विकास किया जाए। पर्यावरण सरंक्षण पहली प्राथमिकता है।
डॉ अशोक कुमार सोमल
स्वराज सत्याग्रही व पर्यावरण एवं लोकतंत्र प्रेमी
लोकतांत्रिक राष्ट्रनिर्माण अभियान