शिलाई के गावँ कोटी में 52 गाँवों के आराध्य महसू देवता कोटी का पांजवी पर्व

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देवभूमि न्यूज 24.इन
देवभूमि हिमाचल की आस्था और परंपरा का अद्वितीय पर्व पांजवी जागरा कोटी गांव में श्रद्धा और उल्लास के साथ आरंभ हो गया है। शिलाई क्षेत्र के 52 गाँवों के आराध्य माहसू देवता सिद्धपीठ काली पोल कोटी से परंपरानुसार ‘बाहर’ निकले। देवता के दर्शनों के लिए सैकड़ों श्रद्धालु उमड़े और वातावरण ढोल-नगाड़ों, रणसिंघों और जयकारों से गूंज उठा
सोमवार :को देवता की उपासनी (बाहर निकलना) सम्पन्न हुई।
मंगलवार को देवता का शाही स्नान, इसके बाद विशाल भंडारा और देर रात तक भव्य जागरण होगा।
बुधवार को देवता को पुनः सिद्धपीठ काली पोल में विधि-विधानपूर्वक प्रतिष्ठित किया जाएगा।माहसू देवता को न्याय का देवता माना जाता है। क्षेत्र में कोई भी विवाद या कठिनाई आने पर ग्रामीण देवता के नाम पर शपथ लेकर न्याय की गुहार लगाते हैं। माना जाता है कि देवता सदैव सच्चे और ईमानदार भक्त के साथ खड़े होते हैं।
देवता का मूल उद्गम उत्तराखंड के हनोल (जौनसार-बावर) स्थित प्राचीन मंदिर से माना जाता है, और वहां से इनकी प्रतिष्ठा सिरमौर के कोटी तक हुई। यहां का काली पोल सिद्धपीठ 52 गाँवों की आस्था का केंद्र है।
जागरा पर्व के दौरान देवता का रथ (पालकी) सजाकर मंदिर प्रांगण से बाहर निकाला जाता है। इस मौके पर ढोल-नगाड़ों, रणसिंघों और करनालों की गूंज से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो उठता है। ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में देव रथ के साथ चलते हैं और नृत्य व देवगीतों की प्रस्तुतियां करते हैं।देवता की शाही स्नान परंपरा में विशेष पूजा-अर्चना होती है। इसके उपरांत आयोजित भव्य भंडारे में हजारों श्रद्धालु एक साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। रात्रि को आयोजित जागरण में भजन-कीर्तन, लोकगीत और देव नृत्य होते हैं, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देते हैं यह पर्व धार्मिक आयोजन के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है। देवता की शाही यात्रा और जागरण में 52 गाँवों के लोग शामिल होकर आपसी भाईचारे और सामूहिकता का संदेश देते हैं।