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गणेश चतुर्थी एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त या सितंबर के महीने में पड़ता है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास
गणेश चतुर्थी का इतिहास पुराणों और अन्य हिंदू ग्रंथों में वर्णित है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी जयंती के अवसर पर, भक्त गणेश मूर्ति की स्थापना करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
गणेश चतुर्थी की कथा
गणेश चतुर्थी की कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को अपने घर की रखवाली करने के लिए कहा था। जब भगवान शिव अपनी पत्नी पार्वती के साथ बाहर गए थे, तो गणेश ने किसी भी अनजान व्यक्ति को घर में प्रवेश नहीं करने दिया। जब भगवान शिव घर वापस आए, तो गणेश ने उन्हें पहचान नहीं पाए और उन्हें घर में प्रवेश नहीं करने दिया। भगवान शिव ने गणेश को नहीं पहचाना और क्रोधित होकर उनका सिर काट दिया।

जब पार्वती ने अपने पुत्र की मृत्यु की खबर सुनी, तो वह बहुत दुखी हुईं। भगवान शिव ने पार्वती को प्रसन्न करने के लिए गणेश के शरीर पर एक हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें पुनर्जीवित कर दिया। इस प्रकार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। यह त्योहार बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, जो सभी बाधाओं और विघ्नों को दूर करते हैं।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर, भक्त गणेश मूर्ति की स्थापना करते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। वे गणेश को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न प्रकार के भोग और प्रसाद चढ़ाते हैं। इस त्योहार के दौरान, लोग अपने घरों में गणेश मूर्ति की स्थापित करते है