राधा-कृष्‍ण ही क्‍यों कृष्‍ण-राधा क्‍यों नहीं कहते? भगवान श्रीकृष्‍ण ने स्‍वयं बताया है इसका ये रहस्‍य

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*देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕राधा अष्टमी 2025: हर साल भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की अष्‍टमी तिथि को राधा अष्‍टमी मनाई जाती है. राधा अष्‍टमी पर्व जन्‍माष्‍टमी से 15 दिन बाद मनाया जाता है. इस साल 31 अगस्‍त को राधा अष्‍टमी है.

राधा रानी के जन्‍मोत्‍सव के लिए वृंदावन में भक्‍तों की भारी भीड़ इकट्ठी हो चुकी है. मंदिर सजकर तैयार हैं. हर जगह राधा नाम की गूंज है. अक्‍सर लोगों के मन में एक सवाल आता है कि भगवान कृष्‍ण और राधारानी के भक्‍त हमेशा •’राधे-कृष्ण’ या •’राधा-कृष्ण’ कहते हैं, या फिर •’राधा-राधा’ जपते हैं. अक्‍सर लोगों के मन में ये सवाल आता है कि राधा जी का नाम ही पहले क्‍यों लिया जाता है.

🪔भगवान श्रीकृष्‍ण ने बताया है रहस्‍य
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्‍ण राधा नाम सुनकर प्रसन्‍न होते हैं. साथ ही उन भक्‍तों पर खूब कृपा बरसाते हैं जो राधा नाम जपते हैं. इसके पीछे एक रोचक कथा भी है. एक बार की बात है व्यास मुनि के पुत्र शुकदेव जी तोते का रूप लेकर राधारानी के महल में निवास करते थे. साथ ही दिन-रात •’राधा-राधा’ जपते थे.

एक दिन राधा रानी ने उनसे कहा कि वे अब •’कृष्ण-कृष्ण’ नाम जपा करें. ऐसे में धीरे-धीरे नगर में हर कोई कृष्ण नाम जपने लगा था. यह देखकर श्रीकृष्ण बहुत उदास हो गए थे. तब उन्होंने नारद जी से कहा कि उन्हें •’राधा’ नाम सुनकर ही आनंद मिलता है. इसलिए लोग राधा नाम ही जपें. तब श्रीकृष्ण को ऐसा बोलते सुनकर राधा जी की आंखें भर आईं और उन्होंने शुकदेव जी से कहा कि अब से केवल •’राधा-राधा’ ही जपा करें. तभी से यह परंपरा बनी कि कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया जाता है.

🪔बिना राधा के कृष्‍ण की पूजा अधूरी
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इतना ही नहीं शास्त्रों में भी राधा रानी को श्रीकृष्ण की शाश्वत शक्ति स्वरूपा और प्राणों की अधिष्ठात्री देवी बताया गया है. भगवान कृष्‍ण के हृदय में हमेशा राधारानी वास करती हैं. इसलिए मान्यता है कि बिना राधा रानी के श्रीकृष्ण की पूजा अधूरी है. बल्कि जो लोग केवल राधा का नाम भी लेते हैं भगवान कृष्‍ण उनकी पुकार सुनकर तुरंत उनके सारे कष्‍ट दूर करते हैं.

*जय_जय_श्री_राधे_राधे*