*देवभूमि न्यूज 24.इन*
अजवायन उष्ण, तीक्ष्ण, जठराग्निवर्धक, उत्तम वायु कफनाशक, आमपाचक व पित्तवर्धक है । वर्षा ऋतु में होनेवाले पेट के विकारों, जोड़ों के दर्द, कृमि- रोग तथा कफजन्य विकारों में अजवायन खूब लाभदायी है ।
औषधीय प्रयोग
भोजन से आधे घंटे पहले अजवायन में थोड़ा-सा काला नमक मिलाकर गुनगुने पानी के साथ लेने से मंदाग्नि, अजीर्ण, अफरा (gas), पेट के दर्द एवं अम्लपित्त (hyperacidity) में राहत मिलती है ।
भोजन के पहले कौर के साथ अजवायन खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।
अजवायन और तिल समभाग मिलाकर दिन में १-२ बार खाने से अधिक मात्रा में व बार-बार पेशाब आने की समस्या में राहत मिलती है ।
अजवायन और एक लौंग का चूर्ण शहद मिलाकर चाटने से उलटी में लाभ होता है ।

१५ से ३० दिनों तक भोजन के बाद या बीच में गुनगुने पानी के साथ अजवायन लेने से मासिक धर्म के समय होनेवाली पीड़ा में राहत मिलती है । (यदि मासिक अधिक आता हो, गर्मी अधिक हो तो उक्त प्रयोग न करें । सुबह खाली पेट २ से ४ गिलास पानी पीने से अनियमित मासिक स्राव में लाभ होता है ।)
उपरोक्त सभी प्रयोगों में अजवायन की सेवन मात्रा: आधा से २ ग्राम ही करना है।
अजवायन का तेल
लाभ: अजवायन के तेल की मालिश संधिवात (arthritis) और गठिया में खूब लाभदायी है ।
तेल बनाने की विधि : २५० मि.ली. तिल के तेल को गरम करके नीचे उतार लें । इसमें १५ से २० ग्राम अजवायन डालकर कुछ देर ढक के रखें फिर छान लें । अजवायन का तेल तैयार ! इससे दिन में २ बार मालिश करें ।
सावधानी : ग्रीष्म व शरद ऋतु में तथा पित्त प्रकृति वालों को अजवायन का उपयोग अत्यल्प मात्रा में करना चाहिए ।