स्त्री पितृ दोष क्या होता है? जानिए इसके लक्षण और उपाय

Share this post

*देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष तब होता है जब उसके पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती हैं. पितृ दोष का मुख्य कारण पितरों का उचित श्राद्ध न करना, उनका तर्पण या पिंडदान न करना, उनका अपमान करना और मृत्यु के बाद विधिवत क्रिया कर्म न करना आदि होते हैं.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ दोष होने पर व्यक्ति को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अक्सर लोगों को लगता है कि सिर्फ पुरुषों को ही पितृ दोष होता है. लेकिन पितृ दोष केवल पुरुषों को ही नहीं, बल्कि महिलाओं को भी प्रभावित करता है.

⚜️स्त्री पितृ दोष क्या होता है?
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
स्त्री पितृ दोष तब होता है जब किसी स्त्री के पूर्वजों की आत्माएं असंतुष्ट हैं या उन्होंने किसी पूर्वज (विशेष रूप से घर की माता तुल्य स्त्री) का अनादर किया हो, या उनके श्राद्ध-तर्पण में कोई कमी रह गई हो. स्त्री पितृ दोष के कारण विवाह में देरी, वैवाहिक जीवन में अशांति, संतान सुख में बाधा या परिवार में लगातार कलह और बीमारी जैसी परेशानियां हो सकती हैं. स्त्री पितृ दोष का मतलब यह नहीं है कि स्त्री को अपने पूर्वजों के कर्मों का दोष लगता है, बल्कि यह पितृ दोष का प्रभाव है जो स्त्री के जीवन को प्रभावित करता है.

⚜️लड़कियों की कुंडली में पितृ दोष के प्रभाव
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
🚩करियर में बाधाएं:- काम-काज में रुकावट या तरक्की न मिलना.

🚩आर्थिक समस्याएं:- धन की कमी या बार-बार आर्थिक तंगी.

🚩विवाह में देरी:- शादी में अड़चनें आना या बार-बार रिश्ता टूटना.

🚩संतान प्राप्ति में बाधा:- गर्भधारण में दिक्कतें या बार-बार गर्भपात होना.

🚩पारिवारिक कलह:- घर में अक्सर झगड़े या तनाव का माहौल रहना.

🚩मानसिक स्वास्थ्य:- मानसिक तनाव, डिप्रेशन या बार-बार बीमार पड़ना.

⚜️स्त्री पितृ दोष के कारण
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐
🚩पूर्वजों का श्राप:- पूर्वजों के प्रति किए गए बुरे कर्म या उनका श्राप देना.

🚩अधूरे कर्मकांड:- पितरों के मोक्ष के लिए किए गए श्राद्ध, तर्पण आदि कार्य पूरे न होना.

🚩बुजुर्गों का अनादर:- किसी महिला द्वारा अपने माता-पिता या बड़े-बुजुर्गों का अनादर करने से भी पितृ दोष लगता है.

⚜️स्त्री पितृ दोष निवारण के सरल उपाय
卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐

  • स्त्री पितृ दोष निवारण के सरल उपाय में प्रतिदिन पूर्वजों का स्मरण कर पितृ गायत्री मंत्र का जाप करना, अमावस्या के दिन पितरों को खीर का भोग लगाना और दान-पुण्य करना, पीपल वृक्ष पर जल चढ़ाना, ब्राह्मणों को भोजन कराना व कौए, कुत्ते, गाय आदि को अन्न आदि खिलाना शामिल है.
  • स्त्री पितृ दोष दूर करने के लिए किसी पवित्र नदी में जाकर तर्पण, श्राद्ध और स्नान करें.
  • हर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करके जल चढ़ाएं और •‘ॐ पितृभ्यः नमः’ मंत्र का जाप करें.
  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए हर अमावस्या पर गरीबों को भोजन कराएं और गाय की सेवा करें.
  • किसी योग्य ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाएं और पितृ दोष की शांति के लिए विशेष पूजा करवाएं.
  • भगवान शिव की आराधना करें या रोजाना श्री दुर्गासप्तशती का पाठ करें. *🚩हरिऊँ🚩*