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🌝चंद्र ग्रहण-सूतक काल 2025: साल 2025 का अंतिम चंद्रग्रहण 7 सितंबर की रात को लगने जा रहा है, जो भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में साफ़ तौर पर देखा जा सकेगा। यह एक पूर्ण चंद्रग्रहण होगा जिसकी कुल अवधि करीब 3 घंटे 30 मिनट रहेगी, जबकि पूर्ण ग्रहण का चरण रात 11:01 से 12:23 तक यानी लगभग 1 घंटे 22 मिनट तक रहेगा।
खास बात यह है कि यह ग्रहण पितृ पक्ष शुरू होने से ठीक पहले लगेगा, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।
चंद्रग्रहण के दौरान सूतक काल की मान्यता होती है, जो ग्रहण शुरू होने से करीब 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस अवधि में पूजा-पाठ, खाना पकाना और किसी भी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। आइए जानते हैं इस चंद्रग्रहण से जुड़ी जरूरी जानकारियां।
⚜️सूतक काल कब से ?
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चंद्रग्रहण की शुरुआत 7 सितंबर की रात 9 बजकर 57 मिनट पर होगी। इसके हिसाब से सूतक काल ग्रहण शुरू होने से लगभग 9 घंटे पहले, यानी 7 सितंबर की दोपहर 1 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जाएगा। सूतक काल शुरू होते ही सभी मंदिरों के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं और धार्मिक अनुष्ठान या शुभ कार्य रोक दिए जाते हैं। इस दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी के पत्ते या दूर्वा डालना शुभ माना जाता है। चूंकि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए सूतक काल भी भारत में वैध और मान्य माना जाएगा। इस समय सावधानी बरतना और नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है।

⚜️ग्रहण का समय और नियम
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- चंद्रग्रहण के लिए सूतक काल ग्रहण आरंभ होने से 9 घंटे पहले शुरू होता है।
- सूर्यग्रहण के लिए सूतक काल ग्रहण आरंभ होने से 12 घंटे पहले शुरू होता है।
- चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के सूतक काल में 3 घंटे का अंतर होता है।
- इस समय भगवान की मूर्तियों को स्पर्श नहीं किया जाता।
- सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
- ग्रहण काल में खाना-पीना वर्जित होता है।
- इस समय पूजा-पाठ या अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते।
- घर और मंदिर की साफ-सफाई की जाती है।
- दान-पुण्य और धार्मिक कार्य किए जाते हैं।
⚜️सूतक काल के नियम
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- सूतक काल में पूजा-पाठ करने से परहेज करना चाहिए।
- इस दौरान गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए ताकि वे और घर दोनों सुरक्षित रहें।
- सूतक काल में बाल काटना या नाखून काटना उचित नहीं माना जाता है। इस समय शरीर की सफाई से जुड़ी ये चीजें टालनी चाहिए।
- खाने-पीने की सभी वस्तुओं में सूतक काल के दौरान तुलसी के पत्ते डालने चाहिए, क्योंकि इससे उस भोजन में पवित्रता बनी रहती है।
- इस समय भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए और अपने इष्ट देवता का स्मरण करते रहना चाहिए, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।
*🚩हरिऊँ🚩*