देवभूमि न्यूज 24.इन
वन संरक्षण अधिनियम में परिवर्तन: आपदा प्रभावितों को दोबारा से बसाने के लिए वन संरक्षण अधिनियम में परिवर्तन की मांग की गई है, ताकि राज्य सरकार को एक बीघा तक फॉरेस्ट लैंड अलॉट करने का अधिकार मिल जाए। हिमाचल प्रदेश में 68 प्रतिशत भूमि वन भूमि है और आपदा में जिन प्रभावितों के घर टूटे हैं, वे उस स्थान पर रहना नहीं चाहते और गैर वनीय जमीन अब उपलब्ध नहीं है।
मृत्यु प्रमाणपत्र: आपदा में लापता लोगों के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र जल्दी मिलना आवश्यक है, ताकि उन्हें राहत राशि दी जा सके।
ऋण सीमा में वृद्धि: राज्य में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के बाद ऋण सीमा को दो प्रतिशत और बढ़ाने की मांग की गई है।
बिजली उत्पादन में नुकसान: बाढ़ की स्थिति में राज्य में स्थापित बिजली प्रोजेक्ट विद्युत उत्पादन नहीं कर पाते, लेकिन इस जेनरेशन लॉस को क्षति की कैटेगरी में नहीं लिया जाता।

इस बारे में केंद्र सरकार अपने नियमों में बदलाव कर सकती है।
भुभूजोत टनल प्रोजेक्ट: मुख्यमंत्री ने कुल्लू मनाली को लेकर प्रधानमंत्री को एक सुझाव दिया है कि बाढ़ की स्थिति में मनाली का संपर्क शेष प्रदेश से कट जाता है, इसलिए भुभूजोत टनल यदि बन जाए तो 12 महीने कनेक्टिविटी बनी रहेगी। केंद्र सरकार को यह प्रोजेक्ट आगे बढ़ाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के लिए 1500 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है, लेकिन यह देखना बाकी है कि यह किस रूप में मिलेगा – स्कीम स्पेसिफिक या स्पेशल पैकेज। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों की सीमित संसाधनों से हरसंभव मदद कर रही है, लेकिन प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र से तत्काल अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता है