देवभूमि न्यूज 24.इन
🪦हिन्दू धर्म में भगवान शिव की आराधना को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। महादेव को भोलेनाथ, शंकर, त्रिलोचन, नीलकंठ समेत अनेकों नामों से पुकारा जाता है। उनकी भक्ति में मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व है।
इन्हीं में से एक है पंचाक्षर स्तोत्र, जिसे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सर्वोत्तम माना गया है। शिवपुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में इस स्तोत्र के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है।

📿पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ
पंचाक्षर स्तोत्र का तात्पर्य पांच अक्षरों से बने मंत्र या श्लोक से है। यह पांच अक्षर हैं – •”न, म, शि, वा, य”। जब इन्हें मिलाकर •”ॐ नमः शिवाय” के रूप में उच्चारित किया जाता है तो यह साधक के जीवन में दिव्य ऊर्जा का संचार करता है। शास्त्रों में इसे महामंत्र कहा गया है। मान्यता है कि इस मंत्र का निरंतर जप करने से मन की शांति, मानसिक बल और ईश्वर की कृपा सहज ही प्राप्त होती है।

📿शिवपुराण में पंचाक्षर स्तोत्र
शिवपुराण में स्पष्ट उल्लेख है कि जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धा से पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, उस पर भगवान शिव स्वयं प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि देवताओं ने भी संकट के समय महादेव का आह्वान करने के लिए इस मंत्र का सहारा लिया। शिवपुराण की कथा के अनुसार, यह मंत्र स्वयं भगवान शिव ने अपने भक्तों को मोक्ष और कल्याण का मार्ग दिखाने के लिए प्रदान किया।

📿नीलकंठ महादेव और पंचाक्षर स्तोत्र
समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला, तब ब्रह्मांड की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया। इसी कारण उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि पंचाक्षर स्तोत्र का जप करके भक्त नीलकंठ महादेव को प्रसन्न करते हैं और जीवन के विष अर्थात दुख, पीड़ा और संकट से मुक्ति पाते हैं। यह स्तोत्र मानो भक्त और शिव के बीच सेतु का कार्य करता है।

📿पूजा और जप की विधि
पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल स्नान के बाद, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना शुभ माना गया है। शिवलिंग के सामने बैठकर बिल्वपत्र, अक्षत, पुष्प और जल अर्पित करने के बाद •”ॐ नमः शिवाय” का जप करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सोमवार या प्रदोष व्रत के दिन इस स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।

📿लाभ और महत्व
🚩मानसिक शांति- इस मंत्र का जप करने से तनाव और चिंता दूर होती है।
🚩आध्यात्मिक उन्नति- साधक को ध्यान और योग की साधना में सफलता मिलती है।
🚩भौतिक लाभ- शिव की कृपा से धन, स्वास्थ्य और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
🚩पापों का शमन- शिवपुराण में कहा गया है कि निरंतर जप करने से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में पुण्य का संचार होता है।
🚩मोक्ष की प्राप्ति- यह स्तोत्र जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है।

📿पौराणिक मान्यताएं
कथाओं के अनुसार, महान संतों और ऋषियों ने पंचाक्षर स्तोत्र के बल पर कठिन तपस्या सफल की। कहा जाता है कि महर्षि कण्व, गौतम और वशिष्ठ जैसे ऋषि नियमित रूप से इस मंत्र का जप करते थे। उनकी साधना का ही परिणाम था कि उन्हें शिव साक्षात दर्शन दिए।
📿आधुनिक संदर्भ में महत्व
आज के तनावपूर्ण जीवन में लोग मानसिक शांति और आत्मबल की तलाश करते हैं। ऐसे समय में पंचाक्षर स्तोत्र का जप मन को स्थिर और शांत करता है। योग और ध्यान के अभ्यास में भी इस मंत्र को शामिल किया जाता है। यही कारण है कि आज भी लाखों लोग रोजाना •”ॐ नमः शिवाय” का जप कर खुद को शिव की शरण में पाते हैं।
♿ऊँश्रीशिवायनम:♿