देवभूमि न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वर्कप्लेस पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 ( POSH Act ) के अंतर्गत शिकायत अनिवार्य रूप से अधिकतम छह महीनों के भीतर दर्ज की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने स्थानीय शिकायत समिति (LCC) के इस निर्णय को बहाल करते समय कोई कानूनी भूल नहीं की कि अपीलकर्ता की शिकायत समय-सीमा से बाहर है और खारिज की जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने कोलकाता स्थित एक यूनिवर्सिटी की एक महिला फैकल्टी मेंबर की याचिका, जिसमें वीसी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाओं की शिकायत दर्ज थी, को समय-सीमा से बाहर मानते हुए खारिज करने के फैसले को बरकरार रखा। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

तकनीकी कारणों से रखा जा सकता है अलग
जस्टिस पंकज मित्तल की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि कुलपति द्वारा कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं को तकनीकी कारणों से जांच से परे रखा जा सकता है,

लेकिन यह जीवन भर सताते रहेंगे। गलती को भूलना नहीं चाहिए। अपीलकर्ता के साथ जो अन्याय हुआ, उसकी जांच तकनीकी आधार पर न हो सकी, पर इसे भुलाया नहीं जाना चाहिए।

समय सीमा से बाहर बताकर की खारिज
एलसीसी ने शिकायत यह कहकर खारिज कर दी थी कि यह समय- सीमा से बाहर है।

अंतिम कथित घटना अप्रैल 2023 में हुई थी, जबकि शिकायत 26 दिसंबर 2023 को दर्ज की गई। हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पहले उनकी शिकायत को बहाल कर दिया था, लेकिन डिवीजन बेंच ने उसके खिलाफ अपील स्वीकार कर ली
