आइये जानते है, इस साल 2025 में, क्यों बढ़ रहा हैं, नवरात्रि में 1 दिन

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✍️देवभूमि न्यूज 24.इन
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हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। इस साल श्राद्ध पक्ष में एक तिथि का क्षय और नवरात्र में एक तिथि में वृद्धि हो रही है, इसलिए इस साल 9 दिन के नहीं 10 दिन के नवरात्र होंगे।

इस साल 2025 में, तृतीया तिथि की वृद्धि हो रही है। नवरात्र में तिथि की वृद्धि अति शुभ फलदायक मानी जाती है। इसलिए, माता का आगमन भी, बहुत शुभदायक और फलदायक माना जा रहा है।

त्रिदिवसीय शक्ति पूजा पर आधारित सप्तमी तिथि में पूजा पंडालो में देवी प्रतिमाओं की स्थापना मूल नक्षत्र से युक्त सप्तमी तिथि में 29 सितंबर दिन सोमवार को दिन में 12:26 बजे से पहले की जाएगी।

नवरात्री में, मां दुर्गों के नौ रूपों की अराधना की जाती है। नौ दिन के नवरात्र व्रत करने के बाद नवमी पर कन्या पूजन और दशमी पर रावण दहन होता है।

शारदीय नवरात्रि 2025

वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन माह में शारदीय नवरात्र के त्योहार को उत्साह के साथ के मनाया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के मंदिरों में खास रौनक देखने को मिलती है। अलग-अलग दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है।

प्रथम दिन 22 सितंबर को, शैलपुत्री पूजन और शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाएगी। इससे घर में, सुख-समृद्धि का वास होता है। 27 सितंबर को बेल बोधन और 29 सितंबर को नवपत्रिका प्रवेश होगा। 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ नवरात्रि का पर्व समाप्त होगा।

मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए शारदीय नवरात्र के पर्व को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से साधक को जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर को, कलश स्थापना और शैलपुत्री पूजन से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा।

इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी जो शुभ संकेत है। विजयादशमी 2 अक्टूबर 2025 को है और माता का प्रस्थान मनुष्य की सवारी पर होगा।

शारदीय नवरात्र घटस्थापना के नियम

शारदीय नवरात्र के दिन प्रथम दिन सुबह स्नान करने के बाद विधिपूर्वक कलश की स्थापना करें और देसी जलाकर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करें। व्रत का संकल्प लें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, घटस्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है और साधक पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। एक बात का खास ध्यान रखें कि घटस्थापना के लिए तांबे, चांदी या फिर मिट्टी के बर्तन का प्रयोग करना चाहिए। घटस्थापना करने के बाद दान करना चाहिए।

घटस्थापना के दौरान, न करें ये गलतियां

घटस्थापना करते समय के किसी के बारे में गलत न सोचें।

किसी से वाद-विवाद न करें।

भूलकर भी काले रंग के कपड़ें न पहनें।

घर और मंदिर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।

नवरात्रि के पूजा मंत्र

  1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

  1. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।

  1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

✍️ज्यो:शैलेन्द्र सिंगला पलवल हरियाणा mo no/WhatsApp no9992776726
नारायण सेवा ज्योतिष संस्थान