शहीद भगत सिंह जयंती पर विशेष

Share this post

देवभूमि न्यूज 24.इन

शहीद भगत सिंह की जीवन बहुत ही प्रेरणादायक है। देश आज उनका 115 वाँ जन्मदिन मना रहा है 28 सितंबर को जन्मे भगत सिंह के निधन वाले दिन को शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। भगत सिंह एक सिख परिवार से ताल्लुक रखते थे और उनके परिवार में क्रांतिकारी गतिविधियों का माहौल था।खुद भगत सिंह के पिता और चाचा अजीत सिंह 1907 में अंग्रेजों के कैनल कोलोलाइजेशन बिल का विरोध किया और 1914- 1915 में गदर आंदोलन में हिस्सा लिया थापिता किशन सिंह और अंग्रेज उनकी शिक्षा को पसंद नहीं करते थे गांव के स्कूल में शुरुआती पढ़ाई के बाद भगत सिंह को दयानंद एंग्लो वैदिक स्कूल में दाखिल किए गए

भगत सिंह का प्रारंभिक जीवन

भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्राप्त की, जहां वे अन्य क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। उन्होंने अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ दी और महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन में भाग लिया।

क्रांतिकारी गतिविधियाँ

भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत नौजवान भारत सभा नामक संगठन से की। उन्होंने पंजाब में क्रांति का संदेश फैलाना शुरू किया और चंद्रशेखर आजाद के संपर्क में आए। उन्होंने साइमन कमीशन के विरोध में प्रदर्शन में भाग लिया और लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद अंग्रेजों के खिलाफ बदला लेने का फैसला किया।

असेम्बली में बम फेंकना

8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और उनके साथी बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेम्बली में बम फेंके। उनका उद्देश्य अंग्रेजों को जगाना था, न कि किसी को नुकसान पहुंचाना। उन्होंने बम फेंकने के बाद अपनी गिरफ्तारी दी और अदालत में अपना पक्ष रखा।
भगत सिंह से भयभीत अंग्रेजी हकुमत ने समय से पहले ही दे दी फांसी

भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई। उनकी फांसी की तारीख पहले 24 मार्च तय की गई थी, लेकिन जनसमूह के विरोध प्रदर्शन के डर से ब्रिटिश सरकार ने फांसी की तारीख एक दिन पहले कर दी। लेकिन शहादत तक अंग्रेजी हकुमत के विरुद्ध नारे लगाते रहे 23 मार्च 1931 को भगत सिंह वी उनके साथी सुखदेव सिंह वी राजगुरु को फांसी दे दी भगत सिंह की शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी और वे आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं

संपादक
देवभूमि न्यूज 24.इन