देवभूमि न्यूज 24.इन
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस, साल 2012 से बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने और लड़कियों के सशक्तीकरण और उनके मानवाधिकारों की पूर्ति को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है।
पूरे विश्व में भले की वर्तमान समय में लड़कियों के जन्म और उनके काम करने को लेकर आधुनिकता बढ़ी है, मगर वर्तमान समय में भी बहुत समाज में लड़कियों को वह सम्मानित दर्जा नहीं मिल पाया है जिसकी वह हकदार हैं। एक बालिका के जीवन में आने वाली चुनौती और परेशानियों के बारे में सभी को जागरुक करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस हर साल 11 अक्टूबर को मनाया जाता है। आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि भारत में हर साल शिशु दिवस मनाया जाता था जिसे 2008 से बदलकर राष्ट्रीय बालिका दिवस कर दिया गया है। भारत में बालिका दिवस प्रत्येक साल 24 जनवरी को मनाया जाता है।
इतिहास
साल 1995 में बीजिंग में, विभिन्न देशों ने महिलाओं पर विश्व सम्मेलन (World Conference on Women) में सर्वसम्मति से न केवल महिलाओं बल्कि लड़कियों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत ही प्रगतिशील ब्लूप्रिंट (most progressive blueprint)- Beijing Declaration and Platform for Action (बीजिंग घोषणा और प्लेटफार्म फॉर एक्शन) को अपनाया। बीजिंग डिक्लेरेशन के माध्यम से विशेष रूप से लड़कियों के अधिकारों पर पहली बार मुद्दा उठाया गया।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 19 दिसंबर, 2011 को लड़कियों के अधिकारों और दुनिया भर में लड़कियों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों को पहचानने के लिए 11 अक्टूबर को बालिका के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित करने के लिए संकल्प 66/170 को अपनाया।
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस 2025 का थीम
प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस एक थीम के साथ मनाया जाता है। बालिका संगठनों, संयुक्त राष्ट्र भागीदारों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से स्वयं बालिकाओं के साथ परामर्श के माध्यम से तैयार 2025 के अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का थीम है, ‘मैं जो लड़की हूं, मैं जो बदलाव लाती हूं: संकट के अग्रिम मोर्चे पर लड़कियां’।