*देवभूमि न्यूज 24.इन*
⭕विष्णु पुराण कथा में राजा जडभरत की कहानी का जिक्र किया गया है। इनकी कहानी के माध्यम से मनुष्यों को यह बताया गया है कि कैसे एक इंसान पशु योनी को प्राप्त कर लेता है। आइए जानते हैं विष्णु पुराण में जडभरत की कथा से कैसे मिलता मनुष्य को अगला जन्म।
मृत्यु को आत्मा के सफर का एक पड़ाव मात्र माना गया है क्योंकि अंत तो शरीर का होता है आत्मा का नहीं। आत्मा तो मूल है और इसका सफर एक शरीर तक नहीं रहता है। इसे अनेकों शरीर में होकर गुजरना पड़ता है और हर शरीर के मिलने के पीछे कुछ न कुछ वजह होती है। ऐसा विष्णु पुराण, गीता और अन्य शास्त्रों में बताया गया है। लेकिन आत्मा का लक्ष्य भटकना नहीं होता है बल्कि उसे परतत्व यानी मोक्ष प्राप्त करना होता है। मोक्ष वह है जब आत्मा का संयोग परमात्मा से होता है। परमात्मा को प्राप्त करने के लिए ही आत्मा विभिन्न शरीर को प्राप्त करता है लेकिन एक मात्र कामना के चक्र में फंसकर आत्मा को बार-बार विभिन्न योनियों में जाना पड़ता है।
जड भरत की कथा है कि वह एक महान संत राजा थे। प्रजा का पालन भी वह धर्म परायण होकर करते थे। लेकिन एक दिन हुआ ऐसा कि जब वह स्नान कर रहे थे तभी एक हिरणी सिंह के भय से भागते हुए नदी में कूद गई लेकिन वह नदी को पार नहीं कर पायी। हिरणी गर्भवती थी और जल में ही उसे प्रसव हो गया। उसने एक हिरणी को जन्म दिया और वहीं मृत्यु को प्राप्त हो गई। राजा को हिरनी के बच्चों को देखकर उस पर दया आ गई और वह उसे लेकर अपने राजभवन में आ गए।
राजा जडभरत ने उस हिरनी को अपने बच्चे की तरह पालना शुरू किया। हिरणी भी राजा से बहुत स्नेह करने लगी थी और राजा के आगे-पीछे खेलती रहती जिसे देखकर राजा जडभरत आनंदित होते रहते। राजा का मोह हिरणी के बच्चे से बढ़ता चला गया। और धीरे-धीरे वह बूढे होकर मृत्यु को प्राप्त हो गए। लेकिन मृत्यु के समय भी उस हिरणी से उनका मोह समाप्त नहीं हुआ वह उसी के बारे में सोचते रहे। परिणाम यह हुआ कि उन्हें मनुष्य योनी से एक पशु योनी में जाना पड़ा और वह स्वयं उस हिरणी की गर्भ में आ गए और हिरण के रूप में उनका अगला जन्म हुआ। इस तरह इस कथा में बताया गया है कि मनुष्य मृत्यु के समय जिस भाव से भावित रहता है उसी भाव से उसे अगला जन्म प्राप्त होता है। गीता में भी कहा गया है कि, मृत्यु काल में भगवान में जिनका मन लगा रहता है वही मोक्ष को पाता है लेकिन यह बहुत ही कठिन है क्योंकि जीवन भर जिस भाव से मनुष्य भावित रहता है वही भाव मृत्यु के समय उसके मन पर हावी रहता है।
🛑आपने देखा भी होगा कि घर में किसी की मृत्यु हो जाने के बाद अगर कुछ वर्षों में किसी बच्चे का जन्म होता है तो लोग कहते हैं कि घर के वही सदस्य लौटकर आपके घर में बच्चे के रूप में आए हैं। दरअसल यह उस व्यक्ति के अपने परिवार के प्रति मोह और कामना को दर्शाता है। क्योंकि मनुष्य अपनी कामनाओं और परिवार के मोह से जल्दी निकल नहीं पाता है। गरुड़ पुराण में कर्मों की प्रधानता बतायी गई है जिसके अनुसार मनुष्य जैसा कर्म करता है उसी के अनुसार उसे अगला जन्म मिलता है। इसलिए कर्म और कामना इन दोनों को ही मनुष्य के अगले जन्म का कारण माना जाता है।
*🚩हरिऊँ🚩*
