देवभूमि न्यूज 24.इन
कलिकाल में आदि शक्ति जगदम्बा भगवती श्री छिन्न मस्तिकाधाम महातीर्थ शक्ति-स्थल श्री छोटा हरिद्वार महातीर्थ माना जाता है। श्री अम्बिका देवी जगत जननी अनादिकाल से यहां विराजमान होकर भक्तों को अभयदान देती आई है। जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश के तहसील उपमंडल अम्ब सन्निकट श्री चिंतपूर्णी माता जी सचमुच श्री छिन्न मस्तिकाधाम महातीर्थ शक्ति-स्थल के रुप में जगत प्रसिद्ध हो चुका है।
उत्तर भारत का महातीर्थ व शक्ति स्थल,श्री माता चिंतपूर्णी जी,श्री छिन्न मस्तिकाधाम ,अम्बिकानगर-
अम्ब नगरी,श्री छोटा हरिद्वार जिला ऊना हिमाचल प्रदेश।
माता चिंतपूर्णी जी की अपार अलौकिक मानवीय उद्धार का बहुविधि साक्षात्कार किया जा सकता है। श्री माता चिंतपूर्णी का दरवार विभिन्न चमत्कारों से आलोकित होकर भक्तजनों की मनोकामनाएं अनन्तकाल से परिपूर्ण करता आ रहा है।
उत्तर भारत का शक्ति पीठ श्री माता चिंतपूर्णी जी, छिन्न मस्तिकाधाम चिंतपूर्णी जिला ऊना हिमाचल प्रदेश का नामकरण सर्वत्र गूंजारित हो रहा है। जिला ऊना-हिमाचल प्रदेश के अम्ब तहसील उपमंडल मुख्यालय चिंतपूर्णी विधानसभा के अम्ब रेलवे स्टेशन व अम्ब तहसील मुख्यालय का विस्तारीकरण होने से अम्ब वर्तमान में माता अम्बिका भवानी जी के अम्बिकानगर-अम्ब नामकरण से सुप्रचारित होने लगा है।

हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं की पुनय भूमि मानी जाती है। सनातन मतानुसार तैंतीस कोटि देवी देवताओं से विभूषित एवं रक्षित हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी के लोगों के साथ साथ यहां आने वाले तमाम श्रद्धालुओं पर भी अहैतु की कृपादृष्टि बनी रहती है। हिमाचल प्रदेश की कल कल बहती नदियां, झरने,मनोरम छटा बिखेरते धार्मिक स्थल और बर्फानी पहाड़ियां स्वर्गिक आनन्द प्रदान करती हैं। शिवालिक धौलाधार पर्वत श्रृंखला में माता चिंतपूर्णी का भव्य चिंतपूर्णी मंदिर एक बहुत बड़ा महातीर्थ है। सारा साल माता चिंतपूर्णी जी के दरवार में समस्त भारत के लाखों लोग नतमस्तक होते आए हैं। यहां पर आने वाले समस्त भक्तजनों की हर समस्या का निराकरण करने के लिए आदिशक्ति भगवती जगदम्बा पिंडी रूप से विराजमान हैं। माता चिंतपूर्णी जी की अपार कृपा समस्त मानवता के कल्याणार्थ सबका बेड़ा पार करती है। श्री माता चिंतपूर्णी में अटूट आस्था व विश्वास रखने वाले अपने बच्चों को माता जी कभी निराश नहीं करती है। चिरकाल से ही माता चिंतपूर्णी जी,श्री छिन्न मस्तिकाधाम के रूप में अवतरित सब प्रकार की मानवीय वाधाओं को क्षणिक हटा देती है। इसी श्रद्धा व विश्वास से ओतप्रोत होकर माता चिंतपूर्णी में अगाध भक्ति भावना से यह स्थल सारे भारतवर्ष का प्रसिद्ध शक्तिपीठ है। माता चिंतपूर्णी के चमत्कारों और उनके बारे में लिखने की धृष्टता कदापि नहीं की जा सकती है। भगवती छिन्न मस्तिका माता चिंतपूर्णी में आने वाले भक्त जनों को सैंकड़ो मीलों से पैदल दंडवत प्रणाम करते हुए भी देखा गया है। इस महातीर्थ माता चिंतपूर्णी ने अरबों खरबों को तार दिया।इसका वर्णन करना बहुत ही दुष्कर कार्य है। महाशक्ति जगदम्बा चिंतपूर्णी के दरवार में कुछ साल पहले लोगों ने अपनी मन्नत पूरी होने पर अपनी जिह्वा (जीभ) तक काटकर चढ़ाई और वह पुनः जुड़ गई। वर्तमान में श्री माता चिंतपूर्णी जी ने स्वयं इस पर सख्त मनाही और रोक लगा दी है कि कोई भी भक्त यहां मेरे दरवार में यह दुस्साहस दोवारा ना करें अन्यथा वह स्वंय भुक्तभोगी होगा। माता चिंतपूर्णी की महिमा अपरम्पार है। माता चिंतपूर्णी जी पिंडी रूप में अस्तित्व में सदैव साक्षात अपने भक्तों का हर सम्भव कल्याण हेतु ही विद्यमान व अवतरित है।
घोर कलिकाल में जब दानवीय शक्तियों व महामारियों का दावानल समस्त विश्व में मंडरा रहा है । ऐसे में माता चिंतपूर्णी जी ही मानवता की सहाई होकर वक्शनहार है। माता चिंतपूर्णी जी हर आपातकालीन परिस्थितियों में भक्तों को अभयदान देकर कृत कृत करती आई हैं।
उत्तर भारत का प्रसिद्ध धार्मिक शक्ति पीठ श्री माता चिंतपूर्णी जी का श्री छिन्न मस्तिकाधाम महातीर्थ जिला ऊना मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर अम्ब उपमंडल तहसील के चिंतपूर्णी में स्थित है। माता चिंतपूर्णी को दस महाविद्याओं में छिन्नमस्ता के नाम से भी जाना जाता है। चिंतपूर्णी माता का अलौकिक प्रकाट्टय श्री शिवपुराण महाकथा से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि दक्ष प्रजापति के यज्ञ में सती भगवती जगदम्बा ने स-शरीर यज्ञ में भगवान भोलेनाथ का अपमान ना सहते हुए अपनी आहुति दी थी। भगवान भोलेनाथ ने दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया था। सती के शरीर को लेकर भगवान सदाशिव हिमालय किन्नर कैलाश से देवभूमि हिमाचल प्रांत में शांति की अभिलाषा से विचरण कर रहे थे। सती के दग्ध उनके शरीर अंग जहां जहां गिरे वहां-वहां पर शक्ति पीठ बनते गये। माता सती का मस्तक यहां चिंतपूर्णी में गिरा था। माता चिंतपूर्णी यहां पर पिंडी रूप में विराजमान हो गई। चिंतपूर्णी शक्ति पीठ बन गया, आदि शक्ति सती का शरीरांश प्रसिद्ध महातीर्थ शक्ति-स्थल श्री छिन्न मस्तिकाधाम मे गिरा था।
युग-युगांतरो तक भगवती जगदम्बा आदि शक्ति अपने आराध्य देव भगवान भोलेनाथ संग यहां पिंडी रूप में ही अवस्थित रहती आई है। चीड़ के घने जंगल छपरोह गांव में भगवती का यह पिंडी रूप विद्यमान रहा। त्रय तापों को बंध लगाने वाली श्री माता चिंतपूर्णी जी ने संसार के अध्यात्मिक,आधिभौतिक, आधिदैविक संतापों से मुक्ति दिलाने के लिए अपने अनन्य भक्त माईं दास को चुना। भक्त माईं दास अपने वंशजों से परित्यक्त होकर यहां विचरण कर रहे थे। छपरोह के बट वृक्ष के नीचे आराम करते हुए माता चिंतपूर्णी ने दृष्टांत दिया कि यहां पर उनका पिंडी रूप अवस्थित है। इसको स्थापित कर निकट शिव सरोवर के जल से स्नान करा स्थापित करो। भक्त माईं दास जी ने माता के आदेश को शिरोधार्य करके भगवती की पिंडी रूप में घोर साधना तपस्या शुरू कर दी। माता चिंतपूर्णी जी के अलौकिक प्रभाव से चिंतपूर्णी माता के पावन स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण होता गया। चिंतपूर्णी माता का शक्ति पीठ श्री छिन्न मस्तिकाधाम से जगत विख्यात होता गया। माता चिंतपूर्णी ने अपने भक्तों को अभयदान और निहाल करते हुए उनके मनोबांछित मनोरथों की सिद्धि का आशीर्वाद देना प्रारंभ किया। चिंतपूर्णी माता के अलौकिक शक्ति प्रभाव से चिंतपूर्णी महातीर्थ बनता गया।
कालान्तर में माता चिंतपूर्णी अम्ब उपमंडल से 21 कि0मी0 स्थित उतर भारत का महातीर्थ माना जाता है।माता के अनन्य भक्त श्री माईं दास जी ने माता श्री चिंतपूर्णी की अपार कृपा से प्राचीन पिंडी रूप में अवस्थित इस शक्ति स्थल पर घोर तपस्या की थी।
मानसिक रोगों से त्रस्त पीड़ित मानवता का उद्धार करने हेतु माता चिंतपूर्णी में बहुत श्रद्धालु यहां नतमस्तक होते आए हैं।
माता श्री चिंतपूर्णी की अलौकिक कृपा से ही जिला ऊना हिमाचल का गगरेट और चिंतपूर्णी क्षेत्र होशियारपुर,जालन्धर,अमृतसर,चंडीगढ़ और दिल्ली से हर महीनें आने वाले लाखों धार्मिक श्रद्धालुओं के प्रवेश द्वार बन गया हैं।जिला ऊना प्रशासन और अम्ब उपमंडल के स्थानीय उपमंडल अधिकारी,माता चिंतपूर्णी न्यास ट्रस्ट द्वारा मंदिर में आने वाले पर्यटकों को बेहतरीन सुविधायें उपलब्ध करवाईं जा रही हैं।माता श्री चिंतपूर्णी माता जी के शुभ आशीर्वाद से 6 जुलाई 2011के ऐतिहासिक दिन अम्ब में भारत की ग़रीब जनमानस की रेलेश्वरी के आने से रेलगाड़ी ने दिल्ली-चंडीगढ़ से आने वाले माता चिंतपूर्णी के भक्तों को सुविधा प्रदान की है। रेलगाड़ी के आने से माता चिंतपूर्णी जी के भक्तों को अम्ब रेलवे स्टेशन तक सुविधा उपलब्ध हुई। रेलवे विस्तारीकरण को इस इलाका में माता चिंतपूर्णी जी का शुभ आशीर्वाद व भक्तजन चमत्कार ही मानते आयें है।
अम्ब से रेलवे लाईन गगरेट-दौलतपुर-तलवाडा की ओर युद्ध स्तर पर बिछाई जा रही है,निश्चित तौर पर भविष्य में होशियारपुर-पठानकोट से आने वाले माता चिंतपुर्णी के भक्त लाभान्वित होंगे।आशा की जानी चाहिए की आम रेलवे बजट में माता चिंतपुर्णी को रेलवे सुविधा से जोड़ने हेतु कारगर कदम उठाये जायेंगे।माता चिंतपुर्णी में स्थल यातायात काफ़ी बाधित रहता है।अतएव भविष्य में ट्राली-परियोजना और हवाई सेवाओं का भी विस्तार किया जाना चाहिए।माता श्री चिंतपुर्णी को धार्मिक,सांस्कृतिक व पर्यटन की विकासवादी धारा से जोड़ने हेतु चिंतपूर्णी तक ब्राड गेज रेलवे लाईन शीघ्रातिशीघ्र बिछाकर श्री माता चिंतपूर्णी तक रेलगाड़ी पँहुचानी चाहिए ताकि धार्मिक श्रद्धालुओं को सुविधा उपलब्ध हो सके।