मंगलवार के उपाय: मंगलवार के दिन हनुमान जी को कैसे करें खुश, जानिए वो 5 खास उपाय

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 *देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा और आशीर्वाद के लिए विशेष माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की आराधना से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की मुश्किलों को भी हल किया जा सकता है। अगर आप भी मंगलवार के दिन हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो इन 5 खास उपायों को अपनाएं।

🪔बूंदी का प्रसाद
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मंगलवार के दिन हनुमान जी को बूंदी का प्रसाद चढ़ाने से वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। यह माना जाता है कि लगातार 5-6 मंगलवार को यह उपाय करने से न केवल धन में वृद्धि होती है, बल्कि जीवन के सभी प्रकार के दोषों से भी छुटकारा मिलता है।

🪔भगवा सिंदूर से श्रृंगार करें
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मंगलवार के दिन हनुमान जी को भगवा सिंदूर अर्पित करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, हनुमान जी को लाल रंग के फल और फूल चढ़ाने से जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।

🪔इस मंत्र का 108 बार जाप
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मंगलवार के दिन •”ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का •108 बार जाप करने से व्यक्ति के बल में वृद्धि होती है और साथ ही मन के डर और चिंताओं से मुक्ति मिलती है।

🪔इन चीजों का करें दान
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मंगलवार का दिन हनुमान जी के साथ-साथ मंगल ग्रह को भी समर्पित है। इस दिन दान करने से मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। आप इस दिन लाल फूल, लाल चंदन, लाल रंग के कपड़े, बादाम और तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं। यह दान हनुमान जी को प्रसन्न करता है और आपके जीवन में शुभ फल देता है।

🪔हनुमान चालीसा का पाठ
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मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करें और पूजा के दौरान देसी घी जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से धीरे-धीरे धन संबंधी समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में समृद्धि आती है।

🪔श्री हनुमान चालीसा
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।।दोहा।।

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

।।चौपाई।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे।
कांधे मूंज जनेउ साजे।।

शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग वंदन।।

बिद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरे सब पीरा।
जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।

साधु संत के तुम रखवारे।।
असुर निकन्दन राम दुलारे।।

अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुह्मरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अंत काल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।

सङ्कट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।

जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।

।।दोहा।।

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

        *🚩राम_राम_जी🚩*