विष्‍णु जी की पत्‍नी लक्ष्‍मी जी, फिर तुलसी जी से विवाह क्‍यों करते हैं श्रीहरि?

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 *देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्‍णु को तुलसी बेह‍द प्रिय हैं. भगवान विष्‍णु की पूजा तुलसी के भोग के बिना अधूरी है. कार्तिक माह में हर साल तुलसी जी के साथ उनका विवाह रचाया जाता है. देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह होता है और इसी के साथ शुभ-मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. हिंदू धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार धन की देवी लक्ष्‍मी, भगवान विष्‍णु की पत्‍नी हैं तो ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि फिर हर साल विष्‍णु जी के शालिग्राम अवतार का विवाह तुलसी जी के साथ क्‍यों होता है?

🪔तुलसी शालिग्राम विवाह की कहानी
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धार्मिक शास्त्रों में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार, ”जालंधर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था, जिसकी पत्नी का नाम वृंदा था. राक्षस की पत्नी भगवान विष्णु की भक्त थी. जब भी जालंधर युद्ध पर जाता तो उसकी पत्नी भगवान विष्णु की पूजा करती, जिससे श्रीहरि उसकी सारी मनोकामनाओं को पूरा करते. जालंधर राक्षस ने चारों ओर आतंक मचाया हुआ था, जिसकी वजह से सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे. उस राक्षस के अत्याचारों से छुटकारा पाने के लिए सभी देवी-देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें सारी बताई.

तब भगवान विष्णु ने कहा कि वृंदा के सतीत्व को ही नष्ट करने के बाद ही जालंधर राक्षस को हराया जा सकता है. इसके लिए भगवान विष्णु ने जालंधर का रूप लिया और वृंदा ने उन्हें अपना पति समझकर छू लिया, जिससे से वृंदा का पतिव्रता धर्म खंडित हो गया. वृंदा का पतिव्रता धर्म टूटने की वजह से जालंधर की सभी तरह शक्तियां नष्ट हो गई. वह युद्ध में भगवान शिव से हार गया और शिवजी ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया.

जब जालंधर की पत्नी वृंदा को इस बात का पता चला कि उसके साथ छल किया गया है, तो उसने क्रोधित होकर जगत के पालनहार विष्णु जी को श्राप दिया. वृंदा ने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया गया, जिसे भगवान विष्णु ने स्वीकार कर लिया और वे एक पत्थर के रूप में यानी शालिग्राम के रूप में हो गए. इससे भगवान विष्‍णु की पत्‍नी देवी लक्ष्‍मी बेहद दुखी हुईं और उन्‍होंने वृंदा से श्राप वापस लेने का आग्रह किया. तब वृंदा ने श्रीहरि को दिया श्राप वापस ले लिया लेकिन स्‍वयं आत्‍मदाह कर लिया. उनके आत्‍मदाह के बाद राख से एक पौधा उगा, जिसे भगवान विष्‍णु ने तुलसी नाम दिया. तुलसी को मां लक्ष्‍मी का ही रूप माना जाता है.

भगवान विष्‍णु वृंदा के पतिव्रत धर्म से बेहद प्रसन्‍न हुए और वरदान दिया कि उनके शालिग्राम रूप के साथ तुलसी की पूजा की जाएगी. तभी से हर साल भगवान विष्‍णु के शालिग्राम स्वरूप के साथ तुलसी जी का विवाह भी रचाया जाता है.

⚜️आर्थिक तंगी होती है दूर
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धार्मिक मान्यता है कि तुलसी का विवाह करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक तंगी भी दूर हो जाती है. ऐसे जातक को खूब धन-समृद्धि और यश प्राप्‍त होता है. यदि विवाह में बाधा आ रही है तो वह भी दूर होती है. इस साल 1 नवंबर 2025 को देवउठनी एकादशी है और उसके अगले दिन 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह कराया जाएगा.

               *🚩हरिऊँ🚩*