चालदा महासू महाराज की यात्रा के दौरान क्या होता है?

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  देवभूमि न्यूज 24.इन

हिमाचल और उत्तराखंड की देव परंपराओं में न्याय के देवता माने जाने वाले चालदा महासू महाराज की यात्रा अनेक धार्मिक और सांस्कृतिक रस्मों का अद्भुत संगम होती है। यह यात्रा केवल आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज में न्याय, एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करती है।

यात्रा के दौरान होने वाली प्रमुख गतिविधियाँ

  1. पालकी यात्रा
    चालदा महासू महाराज की पालकी भक्तों और सेवकों द्वारा उठाई जाती है। पारंपरिक वाद्यों, शंख-घड़ियालों और जयकारों के बीच देवपालकी आगे बढ़ती है। रास्ते भर श्रद्धालु देवता के दर्शन के लिए उमड़ते हैं।
  2. पूजा-अर्चना
    यात्रा स्थल से लेकर प्रत्येक पड़ाव तक विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त फल, फूल, धूप, नारियल और अन्य परंपरागत चढ़ावे अर्पित करते हैं। स्थानीय मंदिर समितियाँ और ग्रामवासी पूरी निष्ठा के साथ देवता का स्वागत करते हैं।
  3. न्याय की प्राप्ति
    चालदा महासू महाराज को न्याय के देवता माना जाता है। यात्रा के दौरान भक्त अपनी समस्याएँ—जैसे विवाद, पीड़ा या मनोकामनाएँ—देवता के समक्ष रखते हैं। परंपरा के अनुसार, इन समस्याओं का समाधान देव दरबार द्वारा होता है।
  4. भोज और प्रसाद
    यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर सामूहिक भोज और प्रसाद वितरण किया जाता है। इसमें सैकड़ों लोग शामिल होते हैं, जो इस आयोजन को सामाजिक एकजुटता का महत्वपूर्ण माध्यम बनाते हैं।
  5. संस्कृति और परंपरा का संरक्षण
    देव यात्रा में लोकगीत, ढोल-नगाड़े, करनाल, नृत्य और पारंपरिक अनुष्ठान सदियों पुरानी संस्कृति को जीवित रखते हैं। युवा पीढ़ी इस यात्रा के माध्यम से अपनी विरासत से परिचित होती है।
  6. समाज में एकता
    यात्रा कई गांवों और सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ती है। लोग एक साथ चलकर भाईचारे और सहयोग की मिसाल पेश करते हैं। यही कारण है कि यह यात्रा सामाजिक सौहार्द का उत्सव मानी जाती है।

वर्तमान यात्रा: इतिहास रचती परंपरा

चालदा महासू महाराज वर्तमान में सिरमौर जिले के पश्मी गांव में प्रवास पर हैं। यह यात्रा ऐतिहासिक इसलिए मानी जा रही है क्योंकि महाराज ने पहली बार टौंस नदी पार करते हुए लगभग 70 किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा आरंभ की है।

आज चालदा महाराज उत्तराखंड के मैयार से सावड़ा पहुंचे, जहाँ भक्तों ने पारंपरिक देव वादन के साथ भव्य स्वागत किया। इसके बाद देव पालकी छात्रधारी महासू महाराज के साथ सिरमौर जिले की सीमा में प्रवेश करेगी।

14 दिसंबर को चालदा महासू महाराज गांव पश्मी के लिए रवाना होंगे, जहाँ देव यात्रा के आगमन का इंतज़ार स्थानीय लोग बड़े उत्साह के साथ कर रहे हैं।