100 नेत्रों से बहे थे ऐसे आंसू, पूरी धरती पर हो गया था पानी-पानी, पढ़ें मां शाकंभरी की ये रोचक कथा

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  *देवभूमि न्यूज 24.इन*

⭕3 जनवरी 2026 को शाकंभरी पूर्णिमा है. यह पौष पूर्णिमा के दिन होती है. इस दिन देवी शाकंभरी प्रकट हुई थीं. शाकंभरी देवी के प्राकट्य की कहानी बेहद रोचक है.

शाकंभरी पूर्णिमा के दिन देवी शाकंभरी की पूजा करें, उनकी कथा पढ़ें और आरती करें.

🪔शाकंभरी देवी की कहानी
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार पृथ्‍वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा कर दिया. उसके आतंक के कारण करीब सौ वर्ष तक वर्षा नहीं हुई. जिससे धरती पर भयंकर सूखा पड़ा और अन्न-जल का अभाव हो गया. लोग मर रहे थे. जीवन खत्म हो रहा था. इतना ही नहीं उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद भी चुरा लिए थे.

तब आदिशक्ति मां दुर्गा, मां शाकंभरी देवी के रूप में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे. उन्होंने रोना शुरू किया, रोने पर आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया. अंत में मां शाकंभरी ने दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया. तब से ही शाकंभरी देवी को साग-सब्‍जी, वनस्‍पति की देवी माना जाता है और पौष महीने में शाकंभरी नवरात्रि मनाई जाती है, जिनका समापन पौष पूर्णिमा के दिन होता है. राजस्‍थान में शाकंभरी देवी के शक्तिपीठ हैं, जो कि बेहद प्रसिद्ध हैं.

🪔शाकम्भरी देवी की आरती
हरि ॐ श्री शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो
ऐसी अद्भुत रूप हृदय धर लीजो

शताक्षी दयालु की आरती कीजो
तुम परिपूर्ण आदि भवानी मां, सब घट तुम आप बखानी मां
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

तुम्हीं हो शाकुम्भर, तुम ही हो सताक्षी मां
शिवमूर्ति माया प्रकाशी मां,
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

नित जो नर-नारी अम्बे आरती गावे मां
इच्छा पूर्ण कीजो, शाकुम्भर दर्शन पावे मां
शाकुम्भरी अम्बाजी की आरती कीजो

जो नर आरती पढ़े पढ़ावे मां, जो नर आरती सुनावे मां
बस बैकुंठ शाकुम्भर दर्शन पावे
शाकुम्भरी अंबाजी की आरती कीजो।

🚩चरण वंदन माँ शाकाम्भरी🚩