देवभूमि न्यूज नेटवर्क
शिमला
हिमाचल प्रदेश
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की हिमाचल प्रदेश राज्य समिति ने आईजीएमसी अस्पताल शिमला में एक मरीज और मेडिकल ऑफिसर के बीच हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। पार्टी ने कहा है कि इस घटना को जानबूझकर बदसूरत मोड़ दिया गया और इसमें स्पष्ट रूप से राजनीतिक ओवरटोन जोड़े गए।
सीपीआई(एम) के राज्य सचिव संजय चौहान ने जारी बयान में आरोप लगाया कि एक भाजपा विधायक ने मेडिकल ऑफिसर को सेवा से न हटाए जाने की स्थिति में गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, जबकि दूसरे भाजपा विधायक ने मुख्यमंत्री से उनकी कथित प्रताड़ना को वापस लेने की मांग की। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा एक जिम्मेदार विपक्षी दल की भूमिका निभाने में विफल रही है और इस संवेदनशील मामले में “संकट में मछली पकड़ने” का प्रयास कर रही है।
पार्टी ने कहा कि भाजपा कानून-व्यवस्था को भड़काने का कोई भी अवसर छोड़ना नहीं चाहती और इस प्रकरण को जी का जंजाल बनाकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।
सीपीआई(एम) ने सरकार की प्रतिक्रिया को भी दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए इसे “पैनिक रिएक्शन” बताया। पार्टी के अनुसार सरकार को आंशिक सत्य के आधार पर निर्णय नहीं लेने चाहिए, बल्कि कानून के दायरे में रहकर न्यायसंगत तरीके से कार्य करना चाहिए। इस मामले में भारतीय सिविल सेवा नियमों के तहत निष्पक्ष और विधिसम्मत कार्रवाई ही एकमात्र समाधान है।
पार्टी ने मांग की है कि मेडिकल ऑफिसर के खिलाफ की गई प्रताड़ना को तुरंत वापस लिया जाए और एक निष्पक्ष जांच करवाई जाए, जिसमें संबंधित अधिकारी को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया जाए। बिना कारण बताओ नोटिस दिए किसी भी तरह की कार्रवाई को सीपीआई(एम) ने अनुचित बताया है।
साथ ही पार्टी ने सभी वर्गों से अपील की है कि इस विवाद को और न बढ़ाया जाए, विशेषकर क्षेत्रवाद जैसी पिछड़ी सोच का सहारा न लिया जाए। सीपीआई(एम) ने कहा कि मेडिकल ऑफिसर्स का विरोध करना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों के अंतर्गत आता है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इससे गंभीर मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।