देवभूमि न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश/मेरठ
बदले हालात की वजह से इस बार किसान आंदोलन से उनके प्रमुख चेहरों की मुखरता गायब है। तीन कृषि कानून के खिलाफ 2020 के किसान आंदोलन के हीरो रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पंजाब-हरियाणा के किसानों के आंदोलन से अभी दूरी बनाए हैं। हालंकि, 17 फरवरी को भाकियू की सिसौसी में होने वाली पंचायत में शायद कोई फैसला आंदोलन के पक्ष में लिया जा सकता है।
इस पंचायत में भाकियू के कई प्रांत के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। इसी के साथ 2020 के आंदोलन को लेकर की गई महापंचायत में हाथ में लोटा, पानी और नमक लेकर एनडीए सरकार को उखाड़ फेंकेंने का सौगंध लेने वाले राष्ट्रीय लोदकल के अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह भी इस बार किसानों के मुद्दे पर मुखर नहीं है। गुरुवार को सिर्फ इतना बोले कि दुनिया का कोई भी ऐसी समस्या नहीं जिसका बातचीत से समाधान न हो सकता
दरअसल, तीनों कृषि कानून के खिलाफ 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर चले आंदोलन नें कई सौ किसानों की जान चली गई थी। इस वक्त एनडीए की केंद्र सरकार के खिलाफ उतरे किसानों के पक्ष में आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी भी उतरे थे। इस बार भी आंदोलित किसानों के साथ 2020 की तरह की सख्ती केंद्र और हरियाणा सरकार दिखा रही हैं। उन पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। रबर बुलेट चलाई जा रही है, लेकिन चौधरी जयंत सिंह किसानों के हक में आवाज बुलंद करते नहीं दिख रहे हैं।