देवभूमि न्यूज डेस्क
हिमाचल प्रदेश
शिमला
हिमाचल प्रदेश: शिमला रिज मैदान में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने नाबार्ड द्वारा आयोजित पांच दिवसीय नाबार्ड समर्थ मेला का शुभारंभ किया। यह मेला 20 फरवरी 2024 तक जारी रहेगा। मेला में भारत के विभिन्न राज्यों एवं हिमाचल के विभिन्न जिलों के बम्बू क्राफ्ट, जूट क्राफ्ट, सिल्क के उत्पाद, पहाड़ी मसाले, दाल, शहद, अखरोट, मशहूर ऊनी हैंडलूम जैसे शॉल, टोपी एवं मफलर जो ग्रामीण महिलाओं द्वारा हाथ से तैयार किये गए उत्पाद उपलब्ध रहेंगे।उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि नाबार्ड द्वारा राज्य मे अधोसंरचना विकास के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहे हैं और नाबार्ड समर्थ मेला के माध्यम से महिला स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादक संगठनों, कारीगरों के लिए अपने उत्पाद बेचने के लिए उपयुक्त मंच प्रदान किया जाता है। इससे उन्हें विपणन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है जिससे महिला सशक्तिकरण को बल मिलता है तथा रोजगार के साधन घर द्वार पर उपलब्ध होते हैं।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि देश के आठ राज्यों के स्टॉल और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों के स्टॉल इस मेला में स्थापित किए गए हैं जिनके माध्यम से स्थानीय लोगों और सैलानियों को विभिन्न प्रकार के उत्पाद उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। नाबार्ड इस प्रदर्शनी के माध्यम से स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह एवं कृषक उत्पादक संघों को अपने उत्पादों की बिक्री करके अपनी आय में वृद्धि करने का एक अवसर प्रदान कर रहा है।उन्होंने इस दौरान विभिन्न स्वयं सहायता समूह के स्टाल का निरीक्षण किया और विभिन्न उत्पादों में गहरी रुचि दिखाई।
इससे पूर्व नाबार्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ विवेक पठानिया ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया और नाबार्ड द्वारा चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
भारत में ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नाबार्ड की भूमिका अभूतपूर्व है। कृषि, कुटीर उद्योग और ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिए ऋण प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और विकास को बढ़ावा देने के अधिदेश के साथ भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड की स्थापना एक शीर्षस्थ विकास बैंक के रूप में की। नाबार्ड का लक्ष्य है कि सतत और न्यायसंगत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए सहभागी वित्तीय और गैर वित्तीय हस्तक्षेपो, नवाचारों, प्रौद्योगिकी और संस्थागत विकास के माध्यम से समृद्धि हासिल करना है।
नाबार्ड अपनी वित्तीय, विकासात्मक और पर्यवेक्षी भूमिका के आधार पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लगभग हर पहलू को छू रहा है, इनसे पुनर्वित्त सहायता प्रदान करना, ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण, जिला स्तर की ऋण योजना तैयार करना, ऋण लक्ष्यों को प्राप्त करने में बैंकिंग उद्योग को मार्गदर्शन और प्रेरित करना, सहकारी बैंकों वह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की निगरानी करना, सुदृढ़ बैंकिंग प्रथाओं को विकसित करना, ग्रामीण विकास के लिए नई परियोजनाओं को डिजाइन करना, भारत सरकार की विकास योजनाओं को लागू करना, हस्तशिल्प कारीगरों को प्रशिक्षण देना एवं उन्हें अपने उत्पाद बेचने के लिए एक विपणन मंच प्रदान करना, आदि शामिल है।
नाबार्ड समर्थ मेला 2024 में विभिन्न राज्यों से कुल 34 स्टॉल लगाए गए हैं जिसमें स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह एवं कृषक उत्पादक संघों से 68 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं।
इस प्रदर्शिनी में भारत के विभिन्न राज्यों से निम्नलिखित उत्पादों को प्रदर्शित किया जा रहा है जिसमें जम्मू कश्मीर से कश्मीरी केसर एवं कश्मीरी दरियाँ, शहद, राजस्थान से चमड़े के उत्पाद, मिल्लेट उत्पाद एवं जोधपुरी बंधेज, उत्तर प्रदेश से फ़र्रुखाबाद प्रिंट टेक्सटाइल, वर्ली पेंटिंग क्राफ्ट, त्रिपुरा से बांस के विभिन्न उत्पाद और झारखंड से सिल्क के विभिन्न उत्पाद।
इस अवसर पर राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष देवेंद्र श्याम, राज्य सहकारी बैंक के मुख्य प्रबंधक श्रवण मांटा, नाबार्ड के अधिकारी गण एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।