भगवान शनि जयंती पर विशेष
देवभूमि न्यूज डेस्क
हिन्दू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। शनि की साढ़े साती, ढैया या शनि की महादशा से परेशान लोगों के लिए यह दिन विशेष फल देने वाला होता है।
i पूजा विधि
इस दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें। उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं। इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें।
इस दिन व्रत रखने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।
उपाय : प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।
भिखारी, निर्बल-दुर्बल या अशक्तों, सेवकों की सेवा करें।
काली चीजें जैसे काले चने, काले तिल, उड़द की दाल, काले कपड़े आदि का दान सामर्थ्यानुसार नि:स्वार्थ मन से किसी जरूरतमंद को करें। ऐसा करने से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न होकर आपका कल्याण करेंगे।
पीपल की जड़ में केसर, चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें।
शनिवार के दिन तिल के तेल का दीप जलाएं और पूजा करें।
तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान गाय, कुत्ते एवं भिखारी को करें।
मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस मंत्र का जाप भी लाभदायक रहता है : ओम शं शनैश्चराय नम:।