हलांह में मनरेगा की मोटी कमाई,पंचायत पदाधिकारियो व अधिकारियों ने मिल बांट खाई

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हलांह में मनरेगा की मोटी कमाई,पंचायत पदाधिकारियो व अधिकारियों ने मिल बांट खाई

देवभूमि न्यूज डेस्क
शिलाई

हिमाचल प्रदेश: कहना गलत न होगा कि ज्यों ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया यह लोकोक्ति सिरमौर जिला के शिलाई विकास खण्ड की पंचायत में चरितार्थ हो रही है इस पंचायत मे विकास योजनाओं के नाम पर सरकारी धन को पंचायत प्रतिनिधियो व पंचायत के कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा चूना लगाया जा रहा है

जब पंचायत वासिओं ने इसका विरोध किया और सम्बन्धित अधिकारियों से शिकायतें की तो वही अधिकारी इस पर पर्दा डालने की कोशिश करते नजर आ रहे है ग्रामीणों की शिकायत पर बेशक विभाग ने जांच कमेटी द्वारा मनरेगा योजनाओं की जांच की लेकिन जांच कमेटी की जांच से भी विभागीय उच्च अधिकारी कन्नी काट रहे है जबकि शिकायतकर्ता जांच रिपोर्ट से संतुष्ट है

पंचायत में चल रहे भारी भ्र्ष्टाचार के चलते जांच कमेटी ने कई योजनाओं की जांच की जिसमे जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में 24 लाख का घोटाला उजागर हुआ है एक माह पूर्व इस जांच रिपोर्ट पर जिलास्तर के अधिकारियों को उचित कार्यवाही के लिए भेजे जाने के बाद अभी तक कोई कार्यवाही नही हो पाई है जिससे जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में आ गई है

पंचायत के वार्ड सदस्य प्रताप सिंह,पूर्व जिला परिषद सदस्य लायक राम,पूर्व प्रधान कल्याण सिंह,केदार सिंह पूर्व उप प्रधान,लायकराम पूर्व पंचायत सदस्य गोविंद प्रसाद प्रधान नवयुवक मंडल,पंच राम शर्मा,वीरेंद्र सिंह,वेद प्रकाश ने बताया कि पंचायत पदाधिकारियो व कर्मचारियों ने आठ विकासात्मक कार्यो पर 82 लाख रुपये खर्च किए जा रहे है इन योजनाओं से वर्षो पूर्व लाखो रुपये योजना सामग्री पर खर्च दर्शाए गए है

मौका पर कार्य शुरू करना तो दूर की बात रा मटीरियल भी योजना स्थल पर नही पहुंचा है जांच कमेटी ने भी स्वीकार किया कि इस पंचायत में मनरेगा के कार्य ठेकेदारी प्रथा के अनुसार किए जा रहे है योजनाओं की स्वीकृत राशि से लाखों रुपये सरकारी खाते से निकल दिए है जिसके चलते कागजी पेट भरने के लिए सीमेंट,क्रेशर के बिलों के साथ साथ फर्जी मस्टरोल भी दिखाए गए है मौका पर कोई कार्य आरम्भ नही हुए

जांच कमेटी की रिपोर्ट पर जिला प्रशासन भृष्ट पंचायत प्रतिनिधि व सम्बन्धित कर्मचारियों के विरुद कारवाही क्यो अमल में नही ला रही है ग्रामीणों की माने तो विकास योजनाओं में पंचायत सचिव की चार प्रतिशत,जी आर एस दो प्रतिशत,तकनीकी सहायक व कनिष्ठ अभियंता चार प्रतिशत, सहायक अभियंता दो प्रतिशत ,बेंडर को जीएसटी के अलावा दो प्रतिशत ओर उसके बाद पंचायत प्रतिनिधि पांच प्रतिशत शेयर मांगते है उसके बाद जो राशि बचती है उसका ठेका दे दिया जाता है

जिसके चलते योजना में मजदूरों से काम न करवाकर जेसीबी मशीन से कार्य करवाया जाता है मजदूरों के नाम पर ठेकेदारों के परिजनों व नजदीकी लोगो के नाम मस्ट्रोलो पर दर्ज कर कागजी खानापूर्ति पूरी कर ली जाती है मनरेगा में करोड़ो रूपये खर्च किए जा रहे जिससे विकास की जगह विनाश हो रहा है और चंद लोग मालामाल हो रहे है शिकायत करने पर अधिकारियों की जेब भी गर्म कर ली जाती है जिसके कारण उच्च अधिकारी कोई कार्यवाही न करके भृष्टाचारिओ के बचाव में आगे आते है
समझा जा रहा है कि जिला प्रशासन जल्दी ही हलांह पंचायत में हुए गड़बड़झाले को लेकर कार्यवाही करने के मूड में है देखना है कि पंचायत प्रधान के साथ साथ कितने कर्मचारियों पर गाज गिरनी है