कहानी श्री अम्बिकानगर-अम्ब

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कहानी श्री अम्बिकानगर-अम्ब

देवभूमि न्यूज डेस्क

मेरा यूं तो शिवालिक धौलाधार पर्वत श्रृंखला में आवागमन बहुत पुराना था। सर्वप्रथम दादाजी के साथ राजपुर जसवां में किसी विवाह समारोह में भाग लेने का मौका मिला था। वापसी पर अम्ब में शरणदास ज्योतिषी जी के पास अम्ब नामकरण पर संवाद सुनने को मिला था। उस समय इस नामकरण बारे ज्यादा तब्बजो नहीं थी। उन दिनों अम्ब में रेलवे लाईन का शिलान्यास किया गया था। यह बड़ी भारी उत्सुकता का विषय था कि अम्ब में शीघ्रातिशीघ्र रेलगाड़ी आयेगी।

इसके एक दशक बाद समाचार पत्रों की खबरों को लेकर जालन्धर आना जाना रहता तो अम्ब उपमंडल तहसील मुख्यालय की रेलवे लाईन बारे संवाद निरन्तर जारी था। इसके लिए ख्याली राम की दुकान मुख्य केन्द्र बन चुका था। सभी जगह की गतिविधियों बारे यहीं से जानकारी मिलती थी।
ख्याली राम नाई की दुकान पर ऩये शहर में पहली बार बाल कटवाने बैठा था। पहले से कतार में बैठे पांच ग्राहक अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। मैं भी अपनी बारी के लिये बैठ गया। ख्याली राम बहुत पहुंची हुई हस्ती मालूम हुई। पहले पंद्रह मिनट में उसने केन्द्र और राज्य की सरकार बातों बातों में पलट दी। तीसरे नम्बर के ग्राहक बाल कटवाती बार प्रोफेसर सूद ने ख्याली राम के कई सवालों को नजर अन्दाज कर कोई जबाव नही दिया। आदतन ढीठ ख्याली राम ने नये मुद्दे पर पैंतरा बदला,”प्रोफेसर साहब! आपको क्या लगता है? क्या इस गांव की दो पंचायते बन जानी चाहिए ? ” प्रोफेसर ख्याली राम को कोई जबाव नही दे रहे थे। अपनी लगातार उपेक्षा के चलते ख्याली राम ने मेरी तरफ मुखातिब होकर पूछा:- ” क्यों भाई साहिब,आप बताओ? इस गांव की दो पंचायते बननी चाहिए ? मैनें खामोशी से सिर क्या हिलाया,ख्याली राम मेरे पीछे पड़ गया। नहीं नही, भाई साब! हम तो अब अपने गांव को नगर बनवाना चाहते है। एक बुजर्ग सज्जन भी एक किनारे बैठे थे। उन्होंने कहना शुरू किया। ” ख्याली राम! यह गांव रियासत कालीन नगर है। राजा रघुनाथ ने इसका सपना देखा था। उन्होंने अपनी नई राजधानी इसी नगर मे बसाई। उनके वंशज लक्षमण सिंह और राजा चैन सिंह ने भी इस गांव को नया विकासशील नगर बनाने का पूरा यत्न किया। वहां बैठे एक सज्जन ने पूरा समर्थन देते हुये कहा कि यह गांव नगर जरूर बनना चाहिए ताकि तेजी से विकास सुनिश्चित हो सके।अब गांव को नगर बनाने की बहस जंग तीव्र गति पकड़ती जा रही थी। भोलाराम ने तो गांव को नगर बनाने की जोरदार वकालत की। उन्होंने यहां गांव के रेलवे स्टेशन का हवाला रिकार्ड सहित दर्ज करवाया ।” हजूर! ” हम पांचवी में पढ़ते थे, इस गांव में रेलमंत्री ने रेलवे स्टेशन का शिलान्यास कर नया नगर बसने की परिकल्पना की थी”। मेरी ओर देखते हुये बोला, “जनाब! वह मंत्री रेलवे स्टेशन के शिलान्यास के कुछ दिनों बाद समस्तीपुर बम विस्फोट में मारा गया।” आज 45 साल बाद यहां रेलगाड़ी उस रेल मंत्री के कारण पहुंची। रेलवे वालों ने उस रेल जन्मदाता दिवंगत रेल मंत्री की याद में उसकी आदम कद प्रतिमा अथवा नाम लिखना भी मुनासिव नही समझा। तभी एक राजनेता वहां आ धमके! बोले!! किसको नगर बनवाना है? यहां बहुत भारी टैक्स जनता पर लग जायेगें। गरीब जनता त्राहि-त्राहि पुकारेगी। मैं चुपचाप सारी चर्चा सुनता आ रहा था। एकाएक राजनेता का स्वर चेतावनी वाला रूखा था। बोला,” जब तक हम नहीं चाहते यह गांव सपने में भी नगर नहीं बन सकता। जो -जो हमारी सीमायें लांघकर गांव को नगर बनवाने की मांग करेगा! उसको हम देख लेंगें !! मेरी हार्दिक इच्छा हुई कि उन राजनेता सज्जन का नाम पूछा जाये? मैनें अगले पल इरादा बदला,”मुझे इस झमेले में क्यों पड़ना? एक पल मैं किंकर्तब्यविमूढ़ होकर आवाक सा ठगा रहा मुझ सचमुच परदेशी कोे क्या लेना-देना? अब मेरी बाल कटवाने की बारी थी। नाई ख्याली राम ने मुझे पूछा? ” आप इस गांव में नये लगते है? कहां से आये है?क्या करते हो? कहां रहते हो? आप शायद सी०आई०डी०पुलिस में काम करते हो? अब मुझे इतने ढेर सारे प्रश्नों का उतर तलाश करना था। मैंने अपना परिचय आगे बढ़ाया:- मैनें कहा,” मैं खबरनवीश (खबर्ची ) हूं। ” “पहली बार सतर के दशक में अपने दादा के साथ राजपुर जसवां में किसी दूर-पार के रिश्तेदारों की शादी में आया था। ” जैसा कि अभी-अभी एक सज्जन फरमा रहे थे। रेलमंत्री रेलवे स्टेशन का शिलान्यास वाला ही दिन था। मैंने दादाजी से रेलवे शिलान्यास देखने का हठ किया था। नई जगह होने से मन में यह भी प्रबल भावना थी कि शायद उस रेलवे जंक्शन पर रेलगाड़ी देखने को मिल जायेगी। परन्तु वहां इंतजार करने पर निराशा मिली। रेलमंत्री ने भाषण में उल्लेख किया था कि इस रेलवे जंक्शन से सारे हिमाचल को जोड़ा जा सकेगा। “सामरिक महत्व के चलते रेलगाड़ी जम्मू-काशमीर तक पहुंचाई जायेगी। यह सर्व-सुलभ ब्राडगेज रेलवे ट्रैक होगा। इससे जम्मू-काशमीर में तैनात सैनिकों को रश्द भी पहुंचाई जायेगी।” नाई ख्याली राम मेरी बातों से काफी प्रभावित हुआ। उसने मेरे लिये मेरे काफी इन्कार करने पर भी सपैशल चाय मंगाई।” मैनें बतलाया, मुझे जालन्धर में ” हिन्दी मिलाप” अखवार के सम्पादक विश्व कीर्ति यश जी से मिलने जाना है। ख्याली राम की चाय का आग्रह मैं टाल नहीं पाया।” इतने में एक सरदार जी वहां आये उन्होंने किसी व्यक्ति का पता पूछा? उनकी बातों से लग रहा था कि वह उस अम्ब गांव के नाम को लेकर भड़ास निकाल रहे थे। काला अम्ब! जौड़े अम्ब!!टेढा अम्ब!!! पीपलू अम्ब!!!! आपणा सामान पूज्या काला अम्ब।ख्याली बोला! ” अम्ब के साथ नगर लगाकर इसे अम्बिकानगर-अम्ब की नई पहचान दे दी जानी चाहिए “। मैंने अम्ब के छोटे से बस स्टाप से जालन्धर की बस पकड़ ली। अपने तीन घंटे के सफर में मैंने अम्ब को नया अम्बिकागर बनवाने की तजवीज पर एक बड़ा आलेख साकार किया जिसे कलम बद्ध किया जाना था। अखवार के सम्पादक जी से अम्ब को अम्बिकानगर नामकरण की चर्चा की तो वह इसे अनावश्यक कह कर टाल गये। कई साल अन्तराल बाद मुझे एक बार पुन: नाई ख्याली राम की दुकान में जाना पड़ा, मंडी जाने वाली बस काफी देरी से आनी थी। वहां एक बार पुन: अम्ब को अम्बिकानगर की बहस छिड़ी। वहां पर काफी अपरिचित बैठे थे ,जिनमें कोई कुलदीप कटवाल जी भी वहां आये थे।उन्होनें भी पुरजोर नये अम्बिकानगर को नये विकासवादी नामकरण की चर्चा में सक्रिय भाग लिया। मामा पंडित कृष्ण चंद जी ने बोला कि यह मामला लम्बा चलेगा। एक अंग्रेज ने एक सयानी माई को कलकता आकर पूछा? यह शहर कौन सा है? माई ने पिछले कल घास काटकर रखा था। “उसने सोचा गोरा घास बारे पूछ रहा है़”? बोली,कल काटा। अंग्रेज ने शहर का नाम ही कलकता कर दिया। बम्बई से मुम्बई,उड़ीसा से ओडीसा,बंगलौर से बैंगलूरू , मद्रास का चेन्नई,यह मसले लम्बे चलते है। इस घटना क्रम के कई सालों बाद मुझे २०००में एक बार अम्ब आने का मौका मिला। मेरा सरकारी सेवा में यहां तबादला हुआ था। मैं आदतन एक बार पुनः ख्याली राम नाई की दुकान में गया। इस पुराने अम्ब को नया अम्बिकानगर नामकरण हेतु अब कई साल बीत चुके थे।मुझे यह जानकर अपार खुशी है कि नया रेलवे स्टेशन बनकर इस गांव में अब रेलगाड़ी आ गई है। ख्याली राम जी ने बड़ी गर्म जोशी से मुझे अम्ब के बारे कई विकास बुलंदियों को गिनाया। ख्याली राम बोला,” गुरूजी! अब सचमुच ही अम्ब के दिन बदलने वाले है! ख्याली राम तो पूर्णतः आश्वस्त हो गया था कि अब तो गुड़गांव से गुरूग्राम नामकरण भी मंजूर हो गया है। रेलगाड़ी के चंडीगढ़, अम्बाला-दिल्ली को रोजाना चलने से ही नहीं बल्कि जयपुर, नांदेड़, हरिद्वार को भी यकीनन अम्ब से अम्बिकानगर का सब जगह प्रचार-प्रसार हो जायेगा। स्थानीय इलाका वासियों ने भी खुशी जताई कि अब ललित मिश्रा रेल मंत्री जी का अम्ब रेलवे स्टेशन भी बहुत बड़ा अम्बिकानगर-अम्ब रेलवे जंक्शन भी बन जायेगा।

राजीव शर्मन
सोमभद्रा-स्वां नदी बाजार
अम्बिकानगर-अम्ब हिमाचल प्रदेश-177203